शैली जल्दी-जल्दी सारे काम निपटा रही थी। कामवाली के बिना पूरे घर का काम सम्हालना बड़ा मुश्किल हो रहा था। वैसे आजकल सभी लोग घर में होते...
शैली जल्दी-जल्दी सारे काम निपटा रही थी। कामवाली के बिना पूरे घर का काम सम्हालना बड़ा मुश्किल हो रहा था। वैसे आजकल सभी लोग घर में होते हैं, तो बिना कहे ही सब में काम बंट गया है।
सुबह बच्चे मम्मी- पापा के साथ योग वगैरह से फ्री होकर नहा कर पूजा करने लगे हैं। तनु- मनु बड़ी खुशी से अपने दादा- दादी से धर्म- कर्म की बातें सुन समझ रहे हैं। कभी कभी तो उनकी दिलचस्प बातों में शैली सोहम भी मशगूल हो जाते। सुबह की चाय से रात के दूध तक साथ ही खाते - पीते खुशनुमा समय बिता रहे हैं।
विकट महामारी ने जहां देश समेत पूरी दुनियां में तबाही मचा रखी है वहीं, सबसे सुरक्षित जगह बना घर, रिश्तों को बांधने का भी काम कर रहा है।बड़े दिनों बाद सब इतने लंबे समय तक एक साथ हैं। शैली का परिवार बड़ा ही सुलझा हुआ सुखी, संतुष्ट परिवार है। वहीं शैली ने भी हमेशा सबका मान रखा।
कल तनु-मनु के स्कूल से मैसेज आया था,जल्दी ही उनके स्कूल खुलने वाले हैं। शैली इसी वजह से हड़बड़ा रही थी। बच्चों की पढ़ाई को ले कर वो बहुत सीरियस थी। बच्चे भी बड़े अच्छे नम्बरों से पास होते, अभी भी वह चाहती थी उसके बच्चों की सारी तैयारी पूरी करले ताकि जैसे ही स्कूल खुल जाए वो बिना रुकावट स्कूल जा सकें।आखिर इतने दिन ढंग से स्कूल की पढ़ाई भी तो नहीं हो पाई, वैसे सोहम के साथ बच्चे बहुत अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं।
शैली याद करने लगी जब सोहम से मिली थी उसने बताया था वह शुरू से टीचिंग जॉब पसन्द करता था, पर अच्छा पैकेज मिला तो कम्पनी ज्वाइन कर लिया ,अब लॉक डाउन में फिर से किताबों से नाता जुड़ गया बच्चे तो कहने लगे पापा आप इतना अच्छा पढ़ाते हैं। हमारे स्कूल में भी पढ़ाया कीजिए वह हंस देता।
शैली तैयार होकर जैसे ही हॉल में आई, सबलोग बाहर बरामदे में मजे से बातें करने में लगे थे;सोहम ने चेंज तक नहीं किया था उसने पूछा "आप अभी तक तैयार नहीं हुए? चलिए बच्चों के लिए समान लाना है, फिर दुकानें बंद हो जाएंगी ; पता नहीं कब फिर लॉक डाउन हो जाए।
बोलते बोलते वह हॉल की तरफ बढ़ी अचानक उसकी नज़र उनकी फेमिली फोटो पर पड़ी, बड़ी खूबसूरत फोटो थी| यह फोटो सबने शैली के आग्रह पर पापा मम्मी की सालगिरह पर पिछले महीने ही बहुत मन से खिंचवाई थी। आते जाते बरबस ही सबकी नज़रें फोटो पर पड़ ही जाती थी, आज भी अनायास जब शैली की नज़र फोटो में गई उसकी चीख़ निकल गई - यह किसने किया? ये क्या बेहूदा मज़ाक है?
सुनकर सोहम हॉल की तरफ लपका उसे देखते ही शैली ने लगभग रोते हुए फोटो की तरफ इशारा करते हुए कहा - "निकालिए इसे जल्दी"
सोहम गम्भीरता से बोला - "शैली ये मैने किया है!
और ये कोई मजाक नहीं मेरा सबके लिए मैसेज है।
हम जबतक सावधानी रखेंगे स्वस्थ रहेंगे "
कहते हुए उसे सोफे में बिठाते हुए बात आगे बढाई, शैली हम बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं। ये जरूरी भी है; लेकिन उनके भविष्य को सुरक्षित रखना उससे भी ज्यादा ज़रूरी है तुम खुद सोचो, भविष्य की चिंता में उनके वर्तमान को तो खतरे में नहीं डाल सकते ना!फिर मम्मी- पापा भी अधिक उम्र के हैं। हममें से कोई भी एक संक्रमित हुआ तो सब को संक्रमण होगा फिर क्यों इतने बड़े जोखिम में पूरे परिवार को डालें।
मैं सोच रहा था जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती हमे बच्चों को घर में ही पढ़ाते रहना चाहिए; ज्यादा से ज्यादा उनके नम्बर कम आएंगे या एक साल ही खराब होगा लेकिन वे इस खतरनाक संक्रमण से तो बचे रहेंगे.
"तुम ठीक कह रहे हो लेकिन....
तरीका बहुत गलत है। अभी निकालो माला वर्ना पापा-मम्मी या बच्चों ने देख लिया तो क्या सोचेंगे!"
"सॉरी यार मेरा उद्देश्य तुम्हे दुखी करना नहीं, आंखें खोलना था अभी निकलता हूं" कहकर सोहम ने माला निकाल दी। शैली के हाथों में माला पकड़ता हुआ बोला ये फोटो सच में बहुत प्यारी है क्योंकि इसमे हम सब हैं और वो भी सच्ची मुस्कान के साथ क्या फिर कभी किसी एक के भी बीना हम सब ऐसे खुश हो पाएंगे....?
शायद कभी नहीं, तो चलो पहले आज को सँवारें कल को भी सम्भाल लेंगे।
नीता झा
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