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जब से सुपर-फैन को डगआउट से हटाया है टीम इंडिया हार चुकी है कई अहम मुकाबले

कानपुर क्रिकेट और सुपरस्टीटियस का नाता पुराना है। सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी इससे अछूते नहीं है। ऐसे ही एक शख़्स हैं धर्मवी...

कानपुर

क्रिकेट और सुपरस्टीटियस का नाता पुराना है। सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी इससे अछूते नहीं है। ऐसे ही एक शख़्स हैं धर्मवीर। जिन्हें टीम इंडिया की लकी चार्म माना जाते है। धर्मवीर आपकों अक्सर आपके टीवी सेट पर डगआउट में बैठे दिखे होंगे। लेकिन कोविड के चलते बायो-बबल लागू होने से धर्मवीर पाल डगआउट से स्टैंड में पहुँच गाए है। उनके स्टैंड में पहुंचने के बाद से भारत ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) सहित कई अहम मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि धर्मवीर इसके पीछे की वजह को खराब प्रदर्शन मानते हैं। उनका कहना है कि गेम में हमेशा दो पहलू होते हैं। इसमें एक हार और दूसरा जीत है। धर्मवीर टीम इंडिया के फैन होने के साथ साथ खुद भी भारतीय दिव्यांग टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं। भास्कर ने टीम इंडिया के सुपर फैन मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी धर्मवीर से खास बातचीत की।


पहली बार स्टेडियम कब देखा था टीम इंडिया का मुकाबला

धर्मवीर ने बताया, 2007 में मैं दिल्ली काम की तलाश में गया था। निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से वापस घर लौट रहा था। इसी दौरान रास्ते में ही अंदर से एक आवाज़ आई कि भारतीय टीम का क्रिकेट मैच देखना है। उस समय टीम इंडिया मोहाली में खेल रही थी। निज़ामुद्दीन से मोहाली के लिए डायरेक्ट ट्रेन न होने के कारण मैं पहले पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन गया। वहाँ के गार्ड ने मुझे खाना खिलाया और दल रुपये देकर मोहाली की ट्रेन में बैठा दिया। अगले दिन सुबह मैं मोहाली पहुँच गया और वहां अपना पहला मुकाबला स्टेडियम में देखा। उस समय मेरी उम्र महज़ 11 साल थी।

पहली बार किस खिलाड़ी की पड़ी थी नजर...

धर्मवीर ने बताया, टीम इंडिया मैच से पहले फ़रीदाबाद में प्रैक्टिस कर रही थी। इस दौरान मैं भी प्रैक्टिस देखने पहुँच गया। इसी दौरान युवराज सिंह, राहुल द्रविड़ और श्रीसंत नेट्स में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने मुझे वहाँ से हटने के लिए कहा, लेकिन मैंने वहाँ आ रही गेंद को शानदार फ़ील्ड करते हुए उनकी तरफ वापस फेका। इसके बाद उन्होंने मेरे बारे में पूछा और मुझे टीम के साथ प्रैक्टिस व मैच के दौरान रहने व ट्रेवल करने के अलाउंस दिलवाए। इसके लिए मैं उनका दिल से शुक्रगुजार हूँ। उन्होंने जितना प्यार दिया वह शायद ही कोई दे पाता।

धर्मवीर ने कहा, देखिए, कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया का स्वरूप बदल गया है। इसी क्रम में खिलाड़ियों को भी बायो-बबल (कोरोना से सुरक्षित माहौल) में रहना पड़ता है। इसी के चलते मुझे भी डगआउट से स्टैंड में जाना पड़ा है। लेकिन मेरे स्टैंड में जाने से टीम की हार का कोई लेना-देना नहीं है। खेल के से हमेशा से दो पहलू होते हैं। एक टीम को हार व दूसरी टीम को जीत मिलती है।

जिस दिन टीम का मैच नहीं होता उस दिन क्या करते है?

धर्मवीर ने बताया, मैं वैसे तो टीम के साथ ही रहने की कोशिश करता हूँ, लेकिन जिस दिन मैच नहीं होता उस दिन मैं अपनी प्रैक्टिस करता हूँ। मैं भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का भी प्रतिनिधित्व करता हूँ। ऐसे में टीम इंडिया का मैच न होने पर अपनी टीम को समय देता हूँ। मैंने फील्डिंग करना वहीं से सीखा है। इसके अलावा अपने परिवार को भी समय देता हूँ।

कानपुर का क्राउड कैसा है?

धर्मवीर के हिसाब से कनपुरिया क्राउड दुनिया में सबसे अलग है। यहाँ की कनपुरिया भाषा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। मेरे हिसाब से कनपुरिया लोग थोड़ा नॉटी है क्योंकि कभी-कभी यहाँ के दर्शक हूटिंग करते हैं, जो गलत है। खिलाड़ी आपके मेहमान होते हैं और मेहमान की इज्जत करनी चाहिए। मेरे हिसाब से इंडिया में सबसे अच्छा क्राउड मोहाली का है।

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