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भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत की सजा बरकरार, सिंगापुर की शीर्ष अदालत ने खारिज की याचिका

सिंगापुर  सिंगापुर की शीर्ष अदालत ने मादक पदार्थ यानी ड्रग्स की तस्करी करने के जुर्म में मलेशिया के 34 साल के भारतवंशी शख्स पन्नीर सेल्वम प्...

सिंगापुर 

सिंगापुर की शीर्ष अदालत ने मादक पदार्थ यानी ड्रग्स की तस्करी करने के जुर्म में मलेशिया के 34 साल के भारतवंशी शख्स पन्नीर सेल्वम प्रंथमन की मौत की सजा को बरकरार रखा है। दरअसल, साल 2019 में शीर्ष अदालत ने प्रंथमन की मौत की सजा पर दो साल की रोक लगा थी लेकिन समयसीमा समाप्त होने के बाद शख्स ने अपने बचाव में एक और याचिका लगाई जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया।


विस्तार से जानें क्या है मामला

 पन्नीर सेल्वम प्रंथमन को 2017 में सिंगापुर में 51.84 ग्राम हेरोइन आयात करने का दोषी ठहराया गया था और अनिवार्य मौत की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद प्रंथमन ने 2018 में अदालत में बचाव याचिका लगाई जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने और उनके परिवार ने राष्ट्रपति हलीमा याकूब को क्षमादान याचिकाएं प्रस्तुत कीं लेकिन इसे भी खारिज कर दी गई। प्रंथमन ने क्षमादान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए अस्वीकृति के खिलाफ एक चुनौती पेश करने की मांग की। इसके बाद, अदालत ने आदेश को चुनौती देने के लिए और कानूनी सलाह लेने के लिए प्रंथमन की मौत की सजा पर दो वर्ष के लिए रोक लगा दी थी। हालांकि, फरवरी 2020 में, उच्च न्यायालय ने न्यायिक समीक्षा कार्यवाही शुरू करने के उनके आवेदन को खारिज कर दिया।

सिंगापुर में 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन मिलने पर मौत की सजा

सिंगापुर के कानून के तहत 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन मिलने पर मौत की सजा का प्रावधान है। सिंगापुर के इस कानून के तहत राहत मिलने की उम्मीद भी कम ही होती है। इससे पहले मलेशिया के एक अन्य 33 साल के भारतवंश नागेंद्रन के. धर्मलिंगम ड्रग्स की तस्करी के मामले में मृत्युदंड से राहत नहीं मिल पाई थी। 


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