रायपुर शहर के आउटर वाले वार्डों में विकास और विकास शुल्क का मुद्दा शुक्रवार को निगम की सामान्य सभा में छाया रहा। पार्षदों ने यह सवाल उठाया क...
रायपुर
शहर के आउटर वाले वार्डों में विकास और विकास शुल्क का मुद्दा शुक्रवार को निगम की सामान्य सभा में छाया रहा। पार्षदों ने यह सवाल उठाया कि उनके वार्डों में लोगों से लिए गए विकास शुल्क के लाखों रुपए जोन कार्यालयों में जमा है। वार्ड में जब विकास कामों की बात आती है, तो फंड नहीं होने का हवाला देकर प्रस्ताव नामंजूर कर दिया जाता है।
विकास शुल्क के लिए लोगों से ज्यादा रकम वसूली जा रही है। पार्षदों ने विकास शुल्क लेने की प्रक्रिया और शुल्क निर्धारण को लेकर भी सवाल उठाए। दूसरे दिन की सभा में पार्षदों ने पानी, सफाई, बिजली आदि दिक्कतों को लेकर सवाल उठाए। हालांकि बहुमत के आधार पर सभा में चार एजेंडे पारित हो गए।
विकास शुल्क पर हुई चर्चा में निगम टाउन प्लानिंग के अध्यक्ष श्रीकुमार मेनन ने कहा कि किसी अवैध कालोनी या आउटर में बिना ले-आउट स्वीकृत क्षेत्रों में बसाहट होने पर वहां बिजली, पानी, सड़क, नाली इत्यादि कुछ सुविधाएं नहीं होतीं। चूंकि लोगों की बसाहट बढ़ चुकी होती है, इसलिए वहां ले आउट स्वीकृत करने की प्रक्रिया निगम करता है। उस विशेष क्षेत्र में कुल रकबा, मकानों की संख्या, खाली प्लाट इत्यादि के आधार पर सुविधाओं का अनुमान लगाया जाता है। जैसे कितनी लंबी सड़क बनानी होगी, नाली, बिजली के पोल, सीवरेज इत्यादि। इनपर होने वाले खर्च का अनुमान लगाया जाता है।
एक लागत निकलकर आती है और उसे संबंधित मकान और खाली प्लाटों में बांटा जाता है। प्रति वर्गफीट पर एक राशि तय होती है। जैसे अभी निगम में विकास शुल्क की राशि 16, 23, 28, 32, 58, 90-92 और कुछ-कुछ वार्डों में यह 100 रुपए के आसपास है। जैसे किसी व्यक्ति का एक हजार वर्गफीट जमीन है तो निगम के अफसर उस क्षेत्र में तय विकास शुल्क पर गणना करते हैं।
नियम यह है कि विकास शुल्क जिस क्षेत्र के लोगों से वसूला गया है, वह उसी क्षेत्र में ही खर्च होना चाहिए। लेकिन ज्यादातर पार्षदों ने इसी मुद्दे पर तीखे हमले किए। उन्होंने सवाल उठाया कि उनके वार्डें से ली गई विकास शुल्क की रकम जोन में जमा है। इसके बाद भी जब संबंधित क्षेत्र में विकास कार्य का प्रस्ताव देते हैं, तो निगम फंड नहीं होने के बहाने से मना क्यों कर देता है।
सबको कहने का मौका दिया शिकायतें दूर करेंगे : ढेबर
मेयर एजाज ढेबर ने कहा कि दो दिन चली सभा में विपक्ष के सभी पार्षदों की बातें सुनी गईं। उन्होंने वार्ड विकास पर दो घंटे चर्चा का समय मांगा। सभापति प्रमोद दुबे ने मौका दिया और सभी ने अपने-अपने वार्ड की समस्याएं और जरूरतें बताई। जरूरतें पूरी होंगी और शिकायतें तुरंत दूर करेंगे। सभापति प्रमोद दुबे ने कहा कि विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए सभी पार्षदों ने उत्साह दिखाया और अपने वार्डों की बात रखी।
पार्षदों को लगाना पड़ रहा अफसरों का चक्कर
नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा कि पार्षदों को छोटे-छोटे कामों के लिए निगम के जूनियर इंजीनियर से लेकर सब इंजीनियर कमिश्नर, हेल्थ अफसर और मुख्यालय मंे कमिश्नर तक चक्कर लगाने पड़ते हैं। विकास के छोटे-छोटे काम मना कर दिए जाते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा गया था।
कुशाभाऊ ठाकरे वार्ड की पार्षद सुशीला धीवर ने कहा कि आउटर होने के कारण उनके वार्ड में डेयरियों और मवेशियों से हादसे ज्यादा हो रहे हैं। यहां के लोगों से निगम और हाउसिंग बोर्ड दोनों टैक्स वसूलते हैं पर सुुविधा नहीं देते। महामाया मंदिर वार्ड की पार्षद सरिता वर्मा ने कहा कि वार्ड में पानी की समस्या है। प्रेशर नहीं होने के कारण पानी नहीं पहुंचता।
चूड़ामणि नायक वार्ड के पार्षद दीपक जायसवाल ने उपेक्षा के आरोप लगाए। ब्राम्हणपारा की पार्षद सरिता दुबे ने कहा कि कंकालीपारा क्षेत्र में अमृत मिशन का टेंडर होने की बात कही जा रही है, पर काम क्यों शुरू नहीं हुआ। शहीद वीर नारायण सिंह वार्ड की पार्षद सीमा साहू ने कहा कि उनके वार्ड में छह-सात गार्डन हैं, लेकिन सभी बदहाल हैं। संत रामदास वार्ड के पार्षद भोलाराम साहू ने अवैध प्लाटिंग का मुद्दा उठाया।
No comments