धमतरी वन विभाग के निगरानी दल काे धमतरी कांकेर की सीमा पर लंगड़ाते हाथी मिला। पैर में सूजन दिखी तो इसकी सूचना डीएफओ सताेविषा समाजदार काे दी ग...
धमतरी
वन विभाग के निगरानी दल काे धमतरी कांकेर की सीमा पर लंगड़ाते हाथी मिला। पैर में सूजन दिखी तो इसकी सूचना डीएफओ सताेविषा समाजदार काे दी गई। वे मौके पर आई और देखा फिर डाॅक्टराें से संपर्क कर इलाज शुरू कराया। अब 7 दिन बाद हाथी स्वस्थ हाेकर चलने लगा। हाथी के स्वभाव काे समझकर बगैर बेहाेश किए ही हाथी का इलाज किया गया है।
जिले में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी जंगल के हाथी का इलाज बगैर बेहाेश किए ही कर दिया गया। 10 लाेगाें टीम ने जान का जोखिम उठाते हुए हाथी से कुछ कदम दूर खड़े होकर दवाएं खिलाईं और उसे स्वस्थ कर दिया। दरअसल, ओडिशा के रोहासी दल का एक दंतैल हाथी गरियाबंद से आया है। 5 महीने से यह हाथी धमतरी और कांकेर जिले के जंगल में ही है। 20 नवंबर को हाथी चारामा रेंज से होकर उत्तर सिंगपुर आया। निगरानी दल ने देखा कि हाथी ठीक से चल ही नहीं पा रहा है। सूचना मिलते ही डीएफओ सतोविशा समाजदार मौके पर गईं। हाथी को देखा। रायपुर से दवाएं लेकर अाईं। वाइल्ड लाइफ के सीसीएफ राजेश पांडेय को जानकारी दी। इलाज शुरू कराया।
जंगल सफारी से आकर डॉक्टर ने आकर देखा
20 नवंबर काे बीमार हाथी मिलने के बाद 21 नवंबर काे डीएफओ समाजदार रायपुर गईं। जंगल सफारी के डाॅ. राकेश वर्मा काे जानकारी दी। उनसे दवाएं लेकर आईंं। खिलाना शुरू किया। 21 काे वाइल्ड लाइफ के सीसीएफ राजेश पांडेय के साथ जंगल सफारी के डॉ. राकेश वर्मा धमतरी आए। हाथी काे देख अन्य दवाएं लिखी। डीएफओ ने 30 मीटर दूर से गुड़ के साथ दवा दी तो उसने खा ली।
हाथी की सेवा करने वाले सभी को गजमित्र सम्मान
जानकारी के मुताबिक प्रभारी रेंजर उत्तर सिंगपुर पंचराम साहू, डिप्टी रेंजर पोखन साहू, संजय सहित बीट गार्ड हरीश दुबे, रामगुलाल साहू, भुनेश्वर बांधे, संदीप माथुर व चौकीदार खेदूराम, पीलूराम व धर्माराम ने हाथी को दवा खिलाते-खिलाते कुछ कदम दूर तक चले गए। खेदूराम ने हाथ से दवा खिलाई। इन सभी लाेगाें काे अब गजमित्र सम्मान दिया जाएगा।
रेंगाडीह के जंगल में था दंतैल इसलिए नाम रखा रेंगा राजा, इसी नाम से पुकारा गया
डीएफओ सतोविशा समाजदार ने बताया कि मैं 20 नवंबर को कार्यालय में काम कर रही थी। देर-शाम खबर मिली की एक दंतैल हाथी ठीक से चल नहीं पा रहा है। मैं तुरंत उत्तर सिंगपुर गई। हाथी के पैर में सूजन थी। 21 नंवबर काे रायपुर जाकर जंगल सफारी के डॉ. राकेश वर्मा से संपर्क किया। उन्होंने तुरंत दवा लिखकर दी। खरीदकर धमतरी लौटे। उन्होंने दवा खिलाने की विधि बताई, पर बहुत मुश्किल था। सीसीएफ को इसकी जानकारी दी। हाथी खतरनाक जानवर होते है, इसलिए मैंने जाेखिम उठाया।
हाथी बोलना मुझे अच्छा नहीं लगा। रेंगाडीह जंगल में था इसलिए रेंगा राजा के नाम से आवाज लगाई, ताकि आवाज सुनकर वह प्रतिक्रिया दे। गुस्से में हाे उसे तरह से व्यवहार करे। हाथी दर्द से परेशान था, उसने गुस्से की प्रतिक्रिया नहीं दी, सूंड़ हिलाई मानाे वह आमंत्रित कर रहा हाे। एेसा करने से दवा खिलाने का प्रयास किया। गुड़ के साथ दवा मिलाकर हाथी से थाेड़ी दूर पर डाल दी। हाथी ने खा ली। इसके बाद हर दूसरे दिन दवा की एक-एक डोज देकर इलाज किया गया। अब रेंगा राजा (हाथी) स्वस्थ हो गया। रातभर में करीब 25 किमी चलकर अरौद डुबान की और गया है। 11 साल की सर्विस में पहली बार ऐसा हुआ जब हाथी को बगैर बेहोश किए इलाज कर लिया गया।
एक्सपर्ट व्यू: हाथी का स्वभाव शांत पर पास न जाएं
सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक अधिकारी केके बिसेन ने कहा कि एक दंतैल हाथी ओडिशा के रोहासी दल का है। हाथी वैसे ताे शांत स्वभाव के होते हैं लेकिन यह खतरनाक भी हाे सकते हैं इनके पास जाना यानी मौत के करीब पहुंचने जैसा है। इसलिए हाथी से हमेशा दूरी बनाकर रखना जरूरी हाेता है। हाथी का इलाज बगैर बेहोश किए संभव नहीं होता है, इलाज हाे गया है सुखद बात है।
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