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अग्निकुल क्षत्रिय तेलुगु समाज ने पोंगल पर्व धूमधाम से मनाया

रायपुर। राजधानी रायपुर के कोटा में अग्निकुल क्षत्रिय तेलुगु समाज ने पोंगल पर्व धूमधाम से मनाया। बी गणेश राव ने बताया कि समाज के लोगों ने आज...



रायपुर। राजधानी रायपुर के कोटा में अग्निकुल क्षत्रिय तेलुगु समाज ने पोंगल पर्व धूमधाम से मनाया। बी गणेश राव ने बताया कि समाज के लोगों ने आज नाना प्रकार के भोजन बनाकर केले के पत्ते में परोसा और इसके बाद पतंग उड़ाकर लुत्फ उठाया। 

जानिए क्या है पूरी कहानी : सनातन धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार को देश के अलग-अलग भागों में दूसरे नामों के साथ मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाड़ू में मकर संक्रांति को पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति, उत्तर प्रदेश, बिहार,मध्य प्रदेश और झारखंड में खिचड़ी, असम में बिहू और राजस्थान में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाड़ू में पोंगल का त्योहार राज्य का प्रमुख त्योहार माना जाता है। 

पोंगल का त्योहार दीपावली की तरह ही खास और चार दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल के त्योहार की तैयारियां बहुत दिनों पहले से ही की जाती है। यहां पर पोंगल के पहले घरों की साफ-सफाई और सजावट होती है। नई फसलों को सूर्यदेव और इंद्रदेव को समर्पित करना, खेती-किसानी में काम आने वाले गाय बैलों और औजारों को पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके बाद सभी लोग मिलकर ईश्वर और प्रकृति का धन्यवाद देते हुए एक-दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं।

पोंगल का महत्व : पोंगल तमिलनाडु का एक खास त्योहार होता है। पोंगल का त्योहार मूल रूप से कृषि से संबंधित पर्व होता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य 14 या 15 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब यह तमिल नववर्ष की पहली तारीख होती है। चार दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव में दूसरा दिन खास होता है। जिसे थाई पोंगल कहते हैं। इसमें नई फसलों का भोजन पकाकर सूर्यदेव को लगाया जाता है।


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