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डी पुरंदेश्वरी का जाना ओम माथुर का आना... चुनाव का कनेक्शन राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना...

छत्तीसगढ़–भाजपा की राजनीति में हुए उलटफेर इन दिनों बड़े चर्चा में हैं... चर्चा में इसलिए क्योकि सीएम भूपेश बघेल बीजेपी के प्रभारियों पर जो ...

छत्तीसगढ़–भाजपा की राजनीति में हुए उलटफेर इन दिनों बड़े चर्चा में हैं... चर्चा में इसलिए क्योकि सीएम भूपेश बघेल बीजेपी के प्रभारियों पर जो प्रतिक्रिया देते है वह हेडलाइन बनती है... बात आगे ले चलते है दरअसल प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी इन्हें हंटर वाली प्रभारी कहा जाता था... साढ़े 3 साल काम करने के बाद बदल दी गई हैं... उनकी जगह ओम माथुर को लाया गया है... एक बार सामान्य राजनीतिक समझ से देखें तो बदलाव कमजोर को बदल मजबूत लाने को जनरल पॉलिटिकल एक्सरसाइज लगती है... लेकिन राजनीति जैसी दिखती है वैसी होती नही....ये बहू कोणीय मल्टी डायमेंशन होती है... जिसमें एक कोण से देखने पर चीजें कई बार समझ नहीं आती... बीजेपी द्वारा जारी किए गए नियुक्ति आदेश को देखे भाजपा ने करीब करीब अपने 15 नए प्रभारियों की नियुक्तियां की हैं... जो अलग-अलग प्रदेशों में जिम्मेदारी संभालेंगे...

जिन राज्यों में प्रभारी बनाए गए हैं ज्यादातर वह राज्य है जहां पर चुनाव होने हैं या लोकसभा में वहां पर भाजपा अपनी मजबूत पकड़ चाहती है... गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा कि यह प्रभारी वाली कुल जमावट आर एस एस द्वारा नियुक्त किए जाने वाले संगठन महामंत्री को उनके प्रभार देने के बाद हुई हैं... याने साफ मतलब है लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए इन प्रभारियों की भाजपा में नियुक्ति की गई है...

अब आते हैं डी पुरंदेश्वरी के हटाए जाने की वजह पर...

डी पुरंदेश्वरी एनटी रामा राव के पुत्री है.. कांग्रेस में काम कर चुकी है... अभी भाजपा उन्हें साउथ में उभरती हुई नेत्री के रूप सहेजे हुए है... उनका कार्यक्षेत्र संयुक्त आंध्र प्रदेश है... अभी जब पार्टी तेलंगाना और आंध्र में बेहतर करने की कोशिश रही है तो वँहा नेताओ को दूसरी जगह इंगेज नही किया जा सकता... क्योंकि डी पुरंदेश्वरी जिस लोकसभा से हारी थी वह तेलंगाना में आता है...

वही विधानसभा में उनके पति पहले ही आंध्रा से विधायक है ऐसे में स्वाभाविक रूप से तेलंगाना में जब 2023 में चुनाव होंगे तो पुरंदेश्वरी चुनाव लड़ेंगी... ऐसे में प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल पाए इसकी संभावना कम ही थी...शायद यही बड़ा कारण है कि उन्हें छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी से मुक्त किया गया ...यह तो मुख्य धारा के पत्रकारों की कमजोरी है कि बीजेपी में प्रभारी बदलने जा रहा है इस बारे में किसी को भनक नहीं लगी... या इस राजनीतिक कंपनी जैसी स्थिति को पत्रकार साथी भांप भी नहीं पाए....मेरी जानकारी में तो , जब तेलंगाना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी तब इस बारे में इस तय कर लिया गया था कि कहां इस प्रभारी को बदला जाना है... तभी से इस बात की सुगबुगाहट थी तेलंगाना छत्तीसगढ़ की चुनाव साथ है... ऐसे में डी पुरंदेश्वरी कंटिन्यू कर पाते इसकी संभावना पहले ही कम थी फिलहाल पुरंदेश्वरी अपने संबंधित विधानसभा में काम करेगी और उनका लक्ष्य अपने पिता की तरह के अपने राज्य के विकास में अपनी भूमिका निभाने का है


अब आते हैं ओम माथुर की ओर ओम माथुर राजस्थान से आते हैं... और राजस्थान की भाजपा की राजनीति के बड़े चेहरों में से एक हैं...लेकिन उनकी वसुंधरा राजे के साथ खटास भी जगजाहिर है....ऐसे में ओम माथुर को ऐसे प्रदेश का प्रभारी बनाया जाना जिसके चुनाव राजस्थान के साथ चुनाव होंने है बताता है कि राजस्थान की राजनीति से उन्हें अलग करने के लिए ही छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है... वो छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रभारी रहेंगे...तो जाहिर है छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहना होगा...तो राजस्थान में कहां ध्यान दे पायेंगे...यानी कुंल मिला कर समझो ऐसे की राजस्थान के राजनीति गणित को साधने के लिए ओम माथुर को छत्तीसगढ़ भेजा गया है... और तेलंगाना के समीकरण को साधने के लिए डी पुरंदेश्वरी को खाली रखा गया है... अब समझे कि नही.... बाकी दोनों के बनाए जाने ,,हटाए जाने से किसे क्या फायदा हुआ इसके लिए 2023 में होने वाले तीनों राज्यों के चुनाव परिणाम पर नजर रखनी होगी वो भी तीनो राज्य राजस्थान छत्तीसगढ़ तेलंगाना पर... अब देखो आगे क्या होता है... ओम माथुर राजनीति के मजबूत खिलाड़ी भी कहे जाते है.. सुना है देश के पीएम और गृह मंत्री को नाम से पुकारने या संबोधित करने वाला अगर कोई नेता है तो वे ओम माथुर है... ओम माथुर ने ऐसे राज्य बीजेपी की झोली में डालने का काम किया है जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती थी... लेकिन 2023 बताएगा कि ओम माथुर वाकई जादूगर है या कक्का यानी छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल का कोई तोड़ ही नही है...

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