जगदलपुर–कवासी लखमा ने कहा कि, यदि लोकसभा में भारत सरकार की तरफ से कोई बिल लाया जाता है तो उसपर दस्तखत राष्ट्रपति करते हैं। इसी तरह विधानसभ...
जगदलपुर–कवासी लखमा ने कहा कि, यदि लोकसभा में भारत सरकार की तरफ से कोई बिल लाया जाता है तो उसपर दस्तखत राष्ट्रपति करते हैं। इसी तरह विधानसभा से पारित आरक्षण के बिल पर दस्तखत राज्यपाल को करना चाहिए। लेकिन, वे इस मामले को लेकर राष्ट्रपति के पास जा रहीं हैं। कवासी लखमा ने कहा कि, मुझे राजनीति करते 24 साल हो गए हैं। लगातार विधायक बना हूं। मैंने अपने राजनीतिक इतिहास में इस तरह का काम कभी नहीं देखा है। भाजपा और RSS की राजनीति पर राज्यपाल नाच रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि, प्रदेश की जनता सरकार से ही अपना हक मांगेगी। आदिवासी जनता ने अपना हक मांगा आरक्षण बिल ला दिया। लेकिन, राज्यपाल राजनीति कर रहीं हैं। इसलिए वे आरक्षण बिल पर अपने दस्तखत नहीं कर रही। कवासी लखमा ने कहा कि, सरकार जनता के हितों में काम कर रही है। लेकिन, भाजपा के कार्यकर्ता आरक्षण को लेकर गलत भ्रम फैला रहे हैं।
उन्होंने मीडिया को अपना बयान देते हुए कहा कि, RSS और भाजपा की राजनीति में राज्यपाल नाच रहीं हैं। वे राजनीतिक माया जाल में फंस चुकी हैं। RSS और भाजपा ने उन्हें फंसा दिया है। दरअसल, आरक्षण बिल पर राज्यपाल ने अब तक दस्तखत नहीं किया है। इसी नाराजगी में आबकारी मंत्री कवासी लखमा लगातार राज्यपाल को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले भी दिए थे बयान
दरअसल, 3 दिन पहले आबकारी मंत्री कवासी लखमा कोंटा विधानसभा क्षेत्र के दौरे में थे। उन्होंने वहां मीडिया से बातचीत में कहा था कि, छत्तीसगढ़ के राजभवन में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। यदि राज्यपाल सच्ची आदिवासी हैं, तो वे आरक्षण के बिल पर अपने दस्तखत करें। कवासी लखमा ने कहा कि, आरक्षण की यह लड़ाई बहुत आगे तक जाएगी। यह आदिवासी पिछड़ा वर्ग का प्रदेश है। मैं राज्यपाल का बहुत सम्मान करता हूं। उनके पद की एक गरिमा है और वे उस पद की गरिमा को सड़क पर न लाएं।
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