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'6 साल की उम्र में माता-पिता ट्रेन में ऐसे ही कट गए', बंटवारे के किस्से सुन हैरान रह गए थे डायरेक्टर

मुंबई । 'गदर 2' को रिलीज होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। भारतीय सिनेमा की यह ऐतिहासिक फिल्म है। इसके हर एक सीन से बहुत से किस्से...

मुंबई । 'गदर 2' को रिलीज होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। भारतीय सिनेमा की यह ऐतिहासिक फिल्म है। इसके हर एक सीन से बहुत से किस्से जुड़े हुए हैं। सकीना और तारा सिंह की जोड़ी ने दर्शकों के दिलों में एक अलग जगह बना ली। यह उस साल की ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर थी। 'गदर' के साथ ही 'लगान' भी रिलीज हुई थी। दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थीं लेकिन अगर कलेक्शन देखें तो 'गदर' ने 'लगान' से दोगुना बिजनेस किया था। भारतीय सिनेमा की अगर टॉप फिल्मों का जिक्र होता है तो उनमें 'गदर' भी एक है। फिल्म के डायरेक्टर अनिल शर्मा का कहना है कि बहुत से लोग 'गदर' जैसी हिट बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन वे सफल नहीं हो पाते हैं। 

इस तरह हुई थी शूटिंग
फिल्म के वैसे तो कई सीन यादगार हैं लेकिन बंटवारे के वक्त का जो सीन दिखाया गया उसे देखकर ना केवल दर्शक रो पड़े बल्कि शूटिंग के वक्त भी लोगों के आंसू नहीं रुके। बॉलीवुड बबल के साथ एक इंटरव्यू में अनिल शर्मा ने शूटिंग का किस्सा साझा किया था। 'गदर' का ट्रेन वाला सीन अमृतसर स्टेशन पर शूट हुआ था। पूरे स्टेशन को पीले रंग में रंग दिया गया जैसा कि उस वक्त होता था। 

शूटिंग के लिए पहुंच गए थे लाखों लोग
शूटिंग के वक्त 4 लाख लोग मौजूद थे। फिल्म की टीम ने बोला था कि जो लोग कुर्ता पैजामा पहनकर आएंगे वह शूटिंग में हिस्सा ले पाएंगे। तब 4 लाख लोग पहुंच गए। अनिल शर्मा ने कहा, 'ट्रेन आकर रुकी, हमने ट्रेन को उस तरह से दिखाया। ट्रेन के ऊपर लोग बैठे हैं, अंदर बैठे हैं। डेड बॉडी लटकी हुई है। हमने उन लोगों से कहा कि रोइए। लोग एक्टिंग कर रहे थे। एक सरदार जी थे 60-65 साल के जो जमीन पर सिर मार-मारकर रो रहे थे। पहले लगा कि वह एक्टिंग कर रहे हैं तो हम लोगों को हंसी आई कि एक्टिंग में इतना घुस चुके हैं।' 

रोंगटे खड़े कर देने वाले किस्से
'जब लोगों ने सरदारजी को उठाया तो देखा वह सच में रो रहे थे। उनकी आंखों में भर-भरकर आंसू थे। मैं हैरान हो गया कि क्या हो गया तो उन्होंने बताया कि "ऐसे ही एक ट्रेन थी। मैं 6 साल का था। मेरे माता-पिता इसी तरह कट गए।" आप सोचिए कि ये सुनकर कैसा लगता है। रोंगटे खड़े हो गए। उन्हें फिर हमने पानी पिलाया। चाय दिया। उन्हें सांत्वना दी। हमने ऐसे-ऐसे दर्द देखे हैं। ऐसी कहानियां सुनी हैं।' 

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