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ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि दहिया उलटफेर का शिकार, अमन को एशियाड का टिकट

 नई दिल्ली । ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि दहिया एशियाई खेलों में भाग नहीं ले पाएंगे क्योंकि रविवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए ट्रायल्स मे...


 नई दिल्ली । ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि दहिया एशियाई खेलों में भाग नहीं ले पाएंगे क्योंकि रविवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए ट्रायल्स में वह 57 किग्रा भार वर्ग में अतीश टोडकर से हारकर बाहर हो गए। इस भार वर्ग के ट्रायल में हालांकि अमन सेहरावत ने विजेता बनकर एशियाई खेलों का टिकट कटाया। दहिया को अपने उत्कृष्ट कौशल और दमखम के कारण ' मशीन' कहा जाता है और उनसे महाराष्ट्र के रहने वाले टोडकर के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी।  रविवार को उन्होंने कुछ शानदार अंक बनाए लेकिन टोडकर ने आखिर में उन्हें चित कर दिया। दहिया के मामले में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। टोडकर तब 20-8 से आगे चल रहे थे जब उन्होंने दहिया के कंधे को जमीन पर लगाया। टोडकर ने दहिया को लगातार चकमा दिया और अपने शानदार खेल से उलटफेर भरी जीत दर्ज की। दहिया ने अपने दाहिने घुटने में एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) और एमसीएल (मेडियल कोलैटरल लिगामेंट) की चोटों के कारण लंबे समय से किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था। दहिया के रिहैबिलिटेशन पर नजर रखने वाले डॉ. मुनेश कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, '' रवि (दहिया) को छह फरवरी को अपने दाहिने घुटने में एसीएल और एमसीएल दोनों चोटों का सामना करना पड़ा था। हमने अप्रैल की शुरुआत में प्रशिक्षण शुरू किया था और उन्होंने लगभग 10 दिन पहले पूरे दमखम से अभ्यास शुरू किया था। उन्हें ऐसे मुकाबलों से पहले प्रतिस्पर्धा की जरूरत थी और इसकी कमी के कारण आज उसे निराशा हुई।'' दहिया और नवीन (7-3) को हराने के बाद टोडकर सेमीफाइनल में तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर राहुल से 0-4 से हार गये। एशियाई चैंपियन अमन सहरावत शुरुआत में थोड़ा लड़खड़ा रहे थे और राहुल अवारे ने उनके खिलाफ प्रभावशाली चार अंक वाला स्कोर बनाया लेकिन इस खिलाड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और शानदार वापसी कर 9-6 से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने अंकित और शुभम के खिलाफ तकनीकी श्रेष्ठता से जीत हासिल की। फाइनल में भी उन्होंने अपनी गति, तकनीक और रणनीति का शानदार इस्तेमाल कर जीत दर्ज की। अपने शुरुआती मुकाबले में दाहिनी आंख पर सूजन का सामना करने वाले विशाल कालीरमन ने 65 किग्रा का ट्रायल जीता और इस वर्ग में भारत का प्रतिनिधि बनने का अपना अधिकार अर्जित करने के लिए पूरा जोर लगाने की बात कही। इस वर्ग में बजरंग पूनिया को पहले ही सीधे प्रवेश दिया जा चुका है। बजरंग को दी गई छूट के खिलाफ उच्च न्यायालय में अर्जी देने वाले सुजीत क्वार्टर फाइनल में अनुभवी रोहित के सामने दमखम नहीं दिखा सके। फाइनल में विशाल और रोहित के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें हिसार के पहलवान विशाल ने 1-4 ने शुरुआत में पिछड़ने के बावजूद 9-6 से जीत दर्ज की। पच्चीस साल के कालीरमन ने कहा, '' मैं बस आज ट्रायल्स में जीतना चाहता था। अगर आज बजरंग भी होता तो भी मैं जीत जाता। मैंने जीतने की ठान ली थी। हम उनकी उपलब्धियों के लिए उनका सम्मान करते हैं लेकिन वे जो कर रहे हैं उससे जूनियर खिलाड़ियों का करियर बर्बाद हो सकता है।'' वह यह मानने को तैयार नहीं थे कि ट्रायल जीतने के बाद वह 65 किग्रा में सिर्फ स्टैंड-बाय बनकर रहेंगे। उन्होंने कहा, '' हम इसके खिलाफ लड़ेंगे, अगर हमें उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा तो हम जाएंगे। हम 15 साल से प्रशिक्षण ले रहे हैं। वे उसे (बजरंग) इस तरह प्रवेश नहीं दे सकते।'' कालीरमन के माता-पिता ने छूट के फैसले को पलटने के लिए हिसार में और ओलंपिक भवन के बाहर भी प्रदर्शन किया था। उनके पिता सुभाष चंदर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''हमने बजरंग और विनेश को उनके विरोध में समर्थन दिया था। उन्होंने कहा था कि विरोध जूनियर पहलवानों के लिए है और अब वे जूनियरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वे हमें धोखा दे रहे हैं। हम इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे।'' उनकी मां राजबाला ने कहा, '' मैं कई दिनों तक अपने बेटे से बात भी नहीं करती क्योंकि मैं उसकी ट्रेनिंग में कोई खलल नहीं डालना चाहती। मैं अपने बेटे को कई सप्ताह और महीनों तक नहीं देख पाती क्योंकि वह सीखने और बड़े मंच पर प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रहा है। अब जब उससे यह मौका छीना जा रहा है, तो हम क्या करें?'' 

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