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स्थानीय स्तर पर स्कूल भवनों को ठीक करने की मांग लगातार उठ रही है

रायपुर। पिछले पौने पांच वर्ष में छत्तीसगढ़ की स्कूलों की दिशा-दशा दोनों ही बदली है। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के ख...

रायपुर। पिछले पौने पांच वर्ष में छत्तीसगढ़ की स्कूलों की दिशा-दशा दोनों ही बदली है। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के खुलने से अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास भी बढ़ा है। शैक्षणिक व्यवस्था में भी लगातार सुधर रहा है, लेकिन जर्जर स्कूल भवन और शिक्षकों की कमी अब भी बड़ा मुद्दा है।  स्थानीय स्तर पर स्कूल भवनों को ठीक करने की मांग लगातार उठ रही है। विधायक-सांसद और मंत्रियों के अतिरिक्त मुख्यमंत्री के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में भी अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा और स्कूल भवनों की मांग की गई है। शिक्षकों की कमी भी एक बड़ा विषय है। ये स्थिति तब है जब राज्य की भूपेश सरकार ने बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती की है। वर्ष 2019 में 14,580 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया करने के बाद 11 हजार शिक्षक स्कूल पहुंचे हैं। अभी भी 12,489 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद भी स्कूल, शिक्षकविहीन या फिर एकल शिक्षकीय व्यवस्था में चल रहे हैं। परिणाम यह हो रहा है कि विद्यार्थियों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ रही है। लोक शिक्षण संचालनालय के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश के करीब चार हजार स्कूल आज भी शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय हैं। वहीं, प्रदेश के 30 हजार स्कूल भवन जर्जर हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना लागू करके 8,000 से अधिक स्कूलों में 2,100 करोड़ रुपये की लागत से कायाकल्प कराया है, मगर जर्जर स्कूल भवनों की संख्या अब भी कम नहीं है। प्रदेश के 33 जिलों में अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों की संख्या 726 पहुंच गई है। यहां 13,146 शिक्षक तैनात हैं। 4,48,692 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के 10 जिलों में अंग्रेजी माध्यम के कालेज खोलने के लिए प्रक्रिया चल रही है। इनमें रायपुर, दुर्ग , बिलासपुर, राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद, जगदलपुर, रायगढ़, अंबिकापुर और कोरबा सम्मिलित हैं। इन स्कूलों ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था में जान फूंक दी है। प्रदेश में 56, 512 स्कूल हैं और यहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। 

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