रायपुर। शारदीय नवरात्र के पंचमी तिथि पर गुरुवार को माता के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंदिरों में प्रज्वलित हो...
रायपुर।
शारदीय नवरात्र के पंचमी तिथि पर गुरुवार को माता के पांचवें स्वरूप
स्कंदमाता का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंदिरों में प्रज्वलित हो रही
श्रद्धालुओं की मनोकामना जोत और महाजोत की बाती को बदलने अथवा आगे बढ़ाने
की रस्म निभाई जाएगी। पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर में माता को तीन बार
महाभोग अर्पित करने की परंपरा निभाई जा रही है। सुबह, दोपहर और रात्रि में
महाभोग का प्रसाद वितरित किया जा रहा है। चौथे दिन बुधवार को माता के
चतुर्थ स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की गई। देवी मंदिरों में दर्शन
करने देर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। वेदों में छिनमस्तिका,
चिंतापूर्णी के नाम से प्रसिद्ध माता को कालाहांडी में मां माणिकेश्वरी के
रूप में पूजा जाता है। पुजारी ने भवानीपटनम में माता से प्रार्थना कर
आमंत्रित करके दुलारी नगर में स्थापित करवाया। पंचमी पर माता का कपाट
खुलेगा। पंचमी के दिन ही माता का दर्शन किया जा सकेगा। इसके बाद साल भर के
लिए कपाट बंद हो जाएगा। बंगाली काली बाड़ी समिति के नेतृत्व में छह दिवसीय
नवरात्र उत्सव का शुभारंभ पंचमी तिथि से प्रारंभ होगा। रात्रि में भगवान
गणेश, कार्तिकेय, मां दुर्गा, मां काली और मां सरस्वती की प्रतिमा की
स्थापना की जाएगी। इसके पश्चात षष्ठी से दशमीं तिथि तक विशेष पूजन, महाआरती
होगी। महाप्रसादी का वितरण होगा। अंतिम दिन दशहरा पर प्रतिमाओं को विसर्जन
के लिए ले जाया जाएगा। विसर्जन से पूर्व महिलाएं सिंदूर खेला की रस्म
निभाएंगी। माता के चरणों में सिंदूर अर्पण करके एक-दूसरे के गालों पर
गुलाल, सिंदूर लगाकर खुशियां मनाएंगी। नवरात्र पर विविध मोहल्लों में
दुर्गा पंडालों में भक्तिभाव छाया है। सुबह-शाम मोहल्लेवासी पूजन आरती में
उत्साह से शामिल हो रहे हैं। पहली बार मारवाड़ी मुक्तिधाम के समीप दुलारी
नगर में ओड़िशा भवानीपटनम के कालाहांडी की मां माणिकेश्वरी की स्थापना
ओड़िशा संस्कृति के अनुरूप की जाएगी। पंचमी पर पट खुलेगा। अष्टमी तिथि पर
22 अक्टूबर को सुबह चार बजे निकलने वाली छत्तर यात्रा में छत्तर थामकर चल
रहे श्रद्धालु और झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी। पुजारी आनादिश्वर भारती ने
बताया कि शोभायात्रा में माता का छत्तर वही व्यक्ति उठा सकता है, जिसमें
देव योग होता है। छत्तर उठाने वालों की कुंडली देखकर अनुमति दी जाती है।
छत्तर यात्रा कालीबाड़ी, पुलिस लाइन होते हुए वापस मारवाड़ी मुक्तिधाम
पहुंचेगी, जहां माता को विराजित किया जाएगा।
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