नयी दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने देश में लैंगिक असमानता समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए...
नयी दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने देश में लैंगिक असमानता समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के संभावित दुरुपयोग पर पक्षों को सजग रहना चाहिए जो लिंग असंतुलन बढ़ा सकते हैं। श्री मांडविया ने यहां केंद्रीय पर्यवेक्षी बोर्ड (सीएसबी) की 29वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (दुरुपयोग का विनियमन और रोकथाम) अधिनियम, 1994 (पीसी और पीएनडीटी अधिनियम) के अंतर्गत केंद्र सरकार को लिंग निर्धारण तथा चयन के लिए चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सीएसबी सदस्य अधिनियम को लागू करने और देश में बालिकाओं के लिए एक उचित वातावरण बनाना प्रयास करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस अधिनियम का प्रयोग किसी को भी निर्दोष चिकित्सकों को परेशान करने के लिए नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की दिशा प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। आंकडों के अनुसार लैंगिक अनुपात में वर्ष 2017-19 में 904 से वर्ष 2018-20 में 907 तक तीन अंकों का सुधार हुआ है। इसके अलावा 22 राज्यों में से 12 राज्यों ने पीसी और पीएनडीटी अधिनियम और बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान में सुधार का प्रदर्शन किया है। श्री मांडविया ने कहा कि आईवीएफ प्रक्रियाओं, नॉन-इन्वेसिव प्रीनेटल टेस्ट (एनआईपीटी) और कॉम्पैक्ट डायग्नोस्टिक उपकरण जैसी आधुनिक तकनीकों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने पर जोर दिया। ये सभी परीक्षण लिंग चयन की सुविधा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग किया जा सकता है और लिंग असंतुलन को बढ़ाया सकता है। उन्होंने पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की क्षमता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तहत वित्तीय सहायता प्रदान करने के कदम का उल्लेख किया तथा कहा कि वित्तीय सहायता राज्य एवं जिला दोनों स्तरों पर प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) कोशिकाओं की स्थापना के लिए दी जा रही है।
No comments