जगदलपुर। कर्नाटक के रहने वाले बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. एक बार फिर बस्तरिया रंग में रमे दिखाई दिए। बस्तर में पदस्थापना के बाद ‘आमी ...
जगदलपुर।
कर्नाटक के रहने वाले बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. एक बार फिर बस्तरिया
रंग में रमे दिखाई दिए। बस्तर में पदस्थापना के बाद ‘आमी आंव बस्तरिया’ गीत
गाकर चर्चा में आए कलेक्टर विजय ने जगदलपुर विकासखंड के पुसपाल हाट
(ग्रामीण बाजार) पसरा हाट लगाकर बैठी महिला सुनमती से बस्तरिया बोली में
बात की और उससे बीस रुपये का देसी हल्दी खरीदा। सुनमती से उन्होंने हल्दी
की विशेषता के बारे में पूछा और हाथ में सूखी देसी हल्दी को रगड़ कर हल्दी
के रंग को देखा व भीनी सुगंध की प्रशंसा की। कलेक्टर ने हल्दी पिसवाकर इसका
उपयोग करने की बात कही। इस दौरान साथ में चल रहे पंचायत पदाधिकारी व
ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय लोग देसी हल्दी का उपयोग खाने के साथ ही
औषधि के रूप में भी करते हैं। वैवाहिक व मृत्यु संस्कार में उपयोग किया
जाता है। विभिन्न फसलों की पैदावार के साथ हल्दी की जैविक खेती बाड़ी या
टिकरा भूमि करते हैं। कलेक्टर ने स्थानीय सब्जी विक्रेताओं, ग्रामीण
महिलाओं से मिलकर साग-सब्जी, कंद, मछली व स्थानीय दैनिक उपयोगी चीजों के
बारे में जानकारी भी ली। कलेक्टर विकसित भारत संकल्प यात्रा के निरीक्षण के
लिए पुसपाल पंचायत पहुंचे थे, जो स्थानीय बाजार के समीप आयोजित था। इसमें
विभिन्न शासकीय योजनाओं की जानकारी एलईडी प्रचार वाहन के माध्यम से दी गई।
मूलत: कर्नाटक के रहने वाले कम्प्यूटर विज्ञान के इंजीनियर विजय दयाराम
आइएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2016 में छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी बने।
नईदुनिया से चर्चा में उन्होंने बताया कि उनके पिता किसान हैं, इस वजह से
उनके चरित्र में मिट्टी की महक है। बलरामपुर के बाद कलेक्टरी के दूसरे
कार्यकाल में बस्तर आते ही बादल संस्था से जुड़कर यहां की आदिवासी संस्कृति
को आगे बढ़ाने का काम किया, जहां विश्वस्तरीय म्यूज़िक रिकार्डिंग
स्टूडियो स्थापित किया गया है। यहां पहला आदिवासी गीत ‘आमी आंव बस्तरिया’
स्थानीय बोली में रेकार्ड हुआ। इन दिनों अर्बन पीएचसी को विकसित करने का
काम करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार देने का काम कर रहे हैं।
नक्सलगढ़ चांदामेटा व कलेपाल को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही,
जहां हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान हुआ।
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