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वसूली का जरिया बन गए थे खुले में मांस-मछली बेचने से रोकने के नियम, अब सख्त हुई सरकार

भोपाल । प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने शपथ लेते ही खुले में मांस-मछली बेचने वाली दुकानों पर रोक लगाने के निर्देश दिए। इस फैसले को...

भोपाल । प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने शपथ लेते ही खुले में मांस-मछली बेचने वाली दुकानों पर रोक लगाने के निर्देश दिए। इस फैसले को प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है। इसकी एक वजह यह है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी इस पर सख्ती कर रही है। उधर, राजस्थान में भाजपा विधायक बालमुकंद आचार्य भी अपने राज्य में इसे कड़ाई से लागू करवाने के लिए आगे आए हैं। इन सबके बीच सच्चाई यह है कि अलग-अलग नियमों के अंतर्गत खुले में मांस-मछली की बिक्री पर रोक के नियम वर्षों पहले से प्रदेश में लागू हैं। लोगों के जीवन से जुड़ा विषय होने के बाद भी इन पर नियमों का पालन अभी तक नहीं हो रहा था। संबंधित विभागों के लिए इनका पालन करवा वसूली का माध्यम बना हुआ था। अब जाकर इस पर सख्ती शुरू हुई है। प्रदेश भर में एक-दो दिन में कार्रवाई होगी। बता दें, मांस को मात्र स्लाटर हाउस में काटा जा सकता है, प्रदेश में इसका पालन भी नहीं हो रहा था। अधिकांश दुकानों में ही जानवरों व पक्षियों को काटकर बेचा जाता है। इससे पेयजल भी प्रदूषित होने का खतरा रहता है। देशभर में वर्ष 2011 से लागू खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम कहता है कि खाने की चीजों को खुला रखने और उनके सेवन से जीवन का खतरा रहता है। ऐसे में इन्हें ढंककर रखा जाना चाहिए। इन्हें काले कांच के अंदर रखने का नियम है। इस संबंध में नगरीय निकायों के नियम पहले से हैं पर सरकार के स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं हुआ था। खुले में मांस-मछली की दुकानें संचालित होने पर कार्रवाई कलेक्टरों को करनी है। साथ में नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम भी रहेगी।

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