रायपुर। जैसे-जैसे भाजपा की नई प्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल के गठन का समय नजदीक आ रहा है, बस्तर संभाग से मंत्री पद के दावेदार पार्टी विधा...
रायपुर। जैसे-जैसे भाजपा की नई प्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल के गठन का समय नजदीक आ रहा है, बस्तर संभाग से मंत्री पद के दावेदार पार्टी विधायकों के भी दिलों की धड़कनें तेज हो रही हैं। वरिष्ठ विधायक इस बात को लेकर उलझन में हैं कि हमेशा चौकाने वाला निर्णय लेती जा रही पार्टी इस बार उन्हें मंत्री पद पर काम करने का अवसर देगी या फिर पूरे पांच साल विधायक बनकर ही कार्यकाल काटना पड़ेगा। वरिष्ठ विधायकों में पांचवीं बार चुने विक्रम उसेंडी, चौथी बार के विधायक केदार कश्यप, तीसरी बार विधायक चुनी गईं लता उसेंडी शामिल हैं। ये तीनों पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कभी न कभी मंत्री रहे हैं। केदार कश्यप तीनों कार्यकाल में 15 साल तक कैबिनेट मंत्री थे। विक्रम दो बार और लता उसेंडी भी इतनी ही बार मंत्री रह चुकी हैं। लता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और केदार प्रदेश में पार्टी के महामंत्री हैं जबकि विक्रम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। तीनों मंत्री पर के दावेदार हैं। यह अलग है कि इनमें से किसे मौका मिलता है और किसका पत्ता कटता है। कनिष्ठ विधायक (पहली बार निर्वाचित) किरणदेव, नीलकंठ टीकाम भी मंत्री पद को लेकर काफी उत्साहित हैं। संभाग की एकमात्र अनारक्षित जगदलपुर सीट से 30 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले किरणदेव भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। संगठन में काम करने का उन्हें काफी अनुभव है और इस दृष्टि से वह पार्टी में वरिष्ठ भी माने जाते हैं। विधानसभा चुनाव से कुछ दिनों पहले आइएएस की नौकरी से त्यागपत्र देकर राजनीति में कदम रखने वाले नीलकंठ टीकाम के प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए मंत्री पद का दावेदार बताया जा रहा है। मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की संभावना को लेकर इनमें से कुछ विधायकों से फोन पर चर्चा करने पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। इनके करीबी नेताओं से चर्चा करने पर बताया गया कि मंत्री पद के लिए दावेदार मानने वाले ये विधायक इन दिनों राजधानी रायपुर और दिल्ली में बैठे अपने करीबी पार्टी नेताओं को फोन लगाकर अपने नाम की संभावनाएं तलाश रहे हैं। नई सरकार बनने के बाद विधानसभा का पहला सत्र 19 से 21 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि पहले दिन मंगलवार को ही मंत्रियों की घोषणा कर दी जाएगी। बस्तर संभाग से भाजपा के आठ विधायक हैं। सरगुजा संभाग से मुख्यमंत्री और बिलासपुर व दुर्ग संभाग से उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद माना जा रहा है कि बस्तर संभाग से तीन से चार मंत्री बनाए जा सकते हैं। एक चर्चा यह भी जोरों से है कि गुजरात माडल को भाजपा यदि लागू करती है तो वरिष्ठ विधायकों को किनारे कर ज्यादा संख्या में नए लोगों को काम करने का अवसर मिल सकता है। आगे चलकर मंत्री पद से वंचित होने वाले कुछ वरिष्ठ विधायकों को निगम-मंडलों में अध्यक्ष पद देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर संतुष्ट करने की कोशिश हो सकती है।
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