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अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों में यूपीआई भुगतान की सीमा एक लाख से बढ़कर पांच लाख

  मुंबई ।  रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से भुगतान की सीमा को एक लाख रुप...

 

मुंबई ।  रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से भुगतान की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक तीन दिवसीय बैठक में शुक्रवार को लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुये कहा कि यूपीआई की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। पूंजी बाजार (एएमसी, ब्रोकिंग, म्यूचुअल फंड इत्यादि), कलेक्शन (क्रेडिट कार्ड भुगतान, ऋण पुनर्भुगतान, ईएमआई), बीमा आदि जैसी कुछ श्रेणियों को छोड़कर यूपीआई के लिए लेनदेन की सीमा एक लाख रुपये तक सीमित है। दिसंबर 2021 में रिटेल डायरेक्ट स्कीम और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की ख़रीद के लिए यूपीआई भुगतान की लेनदेन सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई थी। श्री दास ने कहा कि चिकित्सा और शैक्षिक सेवाओं के लिए यूपीआई के उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को यूपीआई से भुगतान की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये प्रति लेनदेन करने का प्रस्ताव है। इस संबंध में शीघ्र ही अलग से निर्देश जारी किये जायेंगे। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विदेशी मुद्रा जोखिमों की हेजिंग को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे की सिद्धांत-आधारित व्यवस्था शुरू करने की दृष्टि से 2020 में व्यापक समीक्षा की गई थी। बाजार सहभागियों से प्राप्त फीडबैक और तब से प्राप्त अनुभव के आधार पर सभी प्रकार के लेनदेन - ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) और एक्सचेंज ट्रेडेड - के संबंध में एक ही दिशानिर्देश के तहत समेकित करके नियामक ढांचे को और अधिक व्यापक बनाया गया है। परिचालन दक्षता बढ़ाने और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तक पहुंच को आसान बनाने खासकर छोटे जोखिम वाले उपयोगकर्ताओं के लिए ढांचे को भी परिष्कृत किया गया है। इससे आवश्यक जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञता वाले ग्राहकों के एक व्यापक समूह को अपने जोखिम को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अलग से दिशानिर्देश जारी किया जाएगा। श्री दास ने कहा कि ग्राहकों की सुविधा और डिजिटल लेनदेन को अधिक सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से आवर्ती लेनदेन के लिए ई-मैंडेट्स की प्रोसेसिंग की खातिर अगस्त 2019 में रूपरेखा पेश की गई थी। प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफए) के बिना ई-मैंडेट्स के निष्पादन की सीमा वर्तमान में 15 हजार रुपये है। वर्तमान में पंजीकृत ई-मैंडेट्स की संख्या 8.5 करोड़ है, जो प्रति माह लगभग 2800 करोड़ रुपये का लेनदेन करता है। हालांकि सिस्टम स्थिर हो गया है लेकिन म्यूचुअल फंड की सदस्यता, बीमा प्रीमियम का भुगतान और क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान जैसी श्रेणियों में, जहां लेनदेन का आकार 15 हजार रुपये से अधिक है, सीमा बढ़ाने की आवश्यकता व्यक्त की गई है। उन्होंने कहा कि कुछ श्रेणियों जैसे म्यूचुअल फंड की सदस्यता, बीमा प्रीमियम का भुगतान और क्रेडिट कार्ड बिलों के भुगतान के लिए एक लाख रुपये तक के लेनदेन के लिए एएफए की आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है। अन्य मौजूदा शर्तें जैसे लेनदेन से पहले और बाद की सूचनाएं, उपयोगकर्ता के लिए ऑप्ट-आउट सुविधा आदि इन लेनदेन पर लागू होती रहेंगी। संशोधित परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंक और वित्तीय संस्थाएं डेटा की लगातार बढ़ती मात्रा बनाए रख रहे हैं। उनमें से कई इस उद्देश्य के लिए विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्लाउड सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। आरबीआई देश में वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करने पर काम कर रहा है। प्रस्तावित सुविधा वित्तीय क्षेत्र के डेटा की सुरक्षा, अखंडता और गोपनीयता को बढ़ाएगी। इससे स्केलेबिलिटी और व्यापार निरंतरता को सुविधाजनक बनाने की भी उम्मीद है।  उन्होंने कहा कि शुरुआत में क्लाउड सुविधा की स्थापना आरबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवा (आईएफटीएएस) द्वारा संचालन किया जाएगा। अंततः, क्लाउड सुविधा को वित्तीय क्षेत्र के प्रतिभागियों के स्वामित्व वाली एक अलग इकाई में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इस क्लाउड सुविधा को मध्यम अवधि में कैलिब्रेटेड तरीके से शुरू करने का इरादा है।

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