लापरवाही आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना से इलाज करके निजी अस्पताल हो रहे हैं परेशान आदेश न कोई चिट्ठी, फिर भी अस्पतालों के 700 करोड़ रु. ...
लापरवाही आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना से इलाज करके निजी अस्पताल हो रहे हैं परेशान
आदेश न कोई चिट्ठी, फिर भी अस्पतालों के 700 करोड़ रु. अफसरों ने रोके, मरीजों का इलाज बंद
रायपुर . राज्य में आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के तहत इलाज कराने वाले हजारों मरीजों के बिल का 700 करोड़ से ज्यादा का भुगतान अफसरों ने रोक दिया है। इस वजह से कई निजी अस्पतालों ने मरीजों का इलाज बंद कर दिया। आयुष्मान और खूबचंद योजना के तहत मरीजों का न सिर्फ इलाज होता है, बल्कि उनके अस्पताल आने-जाने, ठहरने और दवा के अलावा भोजन तक का पैसा अस्पताल प्रबंधन की ओर से दिया जाता है। इतनी इमरजेंसी सेवा का भुगतान रोकने के लिए न तो सरकार की ओर से कोई चिट्ठी जारी की गई है और न ही कोई आदेश दिया गया है। चुनाव को वजह बता अफसरों ने इसे भुगतान बंद कर दिया है। नई सरकार ने कामकाज जुलाई से भुगत संभाल लिया है, उसके बाद भी न तो सरकारी अस्पताल को भुगतान किया जा रहा है और न ही प्राइवेट को।
अस्पताल प्रबंधन पिछले महीने तक मरीजों का इलाज करने के साथ उन्हें योजना के अंतर्गत सभी सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे थे लेकिन अब कई निजी अस्पताल इससे पीछे हटने लगे हैं। मरीजों को कोई न कोई बहाना कर लौटाया भी जा रहा है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के प्रबंधकों से जानकारी ली। इस दौरान पता चला कि जुलाई में जिन मरीजों का इलाज किया गया था उसमें कुछ मरीजों के क्लेम का भुगतान किया गया। उसके बाद से अब एक भी मरीज के इलाज का खर्च नहीं दिया गया है। अब करीब पांच माह गुजरने के बाद कई अस्पताल वालों का सिस्टम गड़बड़ाने लगा है।
15 सौ सरकारी प्राइवेट अस्पताल में फ्री इलाज
राज्य के 15 सौ से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट
अस्पतालों में आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत मरीजों का फ्री इलाज किया जाता है। इसमें करीब दो हजार से ज्यादा बीमारी, विभिन्न किस्म की जांच और ऑपरेशन व ट्रांसप्लांट फ्री किए जाते हैं।
घुटना ट्रांसप्लांट से किया मना अंबेडकर अस्पताल पहुंचे किशन लाल को घुटनों के दर्द की समस्या केस-1 है। बे पिछले कई महीनों से राजिम में अपने घर के करीब एक अस्पताल में इलाज करवा रहे थे। वहां डाक्टरों ने घुटना ट्रांसप्लांट की सलाह दी। घरवालों ने हिम्मत बंधायी तो वे पिछले महीने अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों ने इस बार उनका ट्रांसप्लांट नहीं किया बल्कि दो महीने बाद आने की बात कहकर लौटा दिया।
अपेंडिक्स के दर्द से परेशान
युवती की सर्जरी से जांजगीर-चांपा के एक अस्पताल में मना कर दिया। केस-2 युवती अंबेडकर अस्पताल पहुंची है। यहां जांच के बाद डाक्टरों ने दवाएं देने के साथ ही कुछ टेस्ट लिखकर दिए हैं। युवती के परिजनों ने में बताया कि कभी भी अचानक पेट दर्द होने लगता था। सोनोग्राफी से अपेंडिक्स का पता चला। जब ऑपरेशन कराने गए तो बाद में आना कहकर लौटा दिया।
आईएमए ने मंत्री से भुगतान की मांग की
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मिला। इस दौरान डॉक्टरों की टीम ने आयुष्मान योजना के लंबित भुगतान करने की मांग की। साथ ही नर्सिंग होम एक्ट के प्रावधानों के बदलाव को लागू करने को लेकर चर्चा की। अपनी मांग रखते हुए डॉक्टरों ने बताया कि पिछले 6 महीने से निजी अस्पतालों को आयुष्मान योजना का अनियमित भुगतान नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द से जल्द समस्या के निराकरण की बात कही।
खास बातें
• रोज 4 हजार मरीजों का विभिन्न अस्पतालों व हेल्थ सेंटरों में होता है इलाज। सरकारी में करीब 24 सौ और प्राइवेट में 16 सौ मरीजों का होता है इलाज। हर महीने इलाज पर औसतन ढाई सौ करोड़ से ज्यादा होते हैं खर्च। मरीज के भोजन व रहने का खर्च भी इसी पैकेज में रहता है शामिल। अस्पताल में भर्ती मरीज को नाश्ते के साथ दो टाइम का भोजन कराया जाता है उपलब्ध। कुछ पैकेज में मरीज को अस्पताल आने जाने का खर्च भी अस्पताल ही देते हैं।
छोटे और किराये के भवनों में चलने वाले अस्पतालों की हालत खराब है। जहां सरकारी अस्पताल का विकल्प नहीं होता, वहां ऐसे अस्पतालों में पहुंचकर मरीज तुरंत इलाज की सुविधा प्राप्त कर लेते हैं।
डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए
देरी होने के कई कारण हैं। अभी तक कहीं इलाज प्रभावित होने की सूचना नहीं है, लेकिन ये जरूर है कि इसकी प्रक्रिया चालू हो गई है। जल्द ही भुगतान किया जाएगा। डॉ. केआर सोनवानी, नोडल अफसर, आयुष्मान
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