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कृषि को लाभदायक बना रही है सरकार: मुर्मु

  नयी दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार आज खेती को अधिक लाभकारी बनाने पर बल दे रही है और लागत कम तथा लाभ अधिक करने के ...

 

नयी दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार आज खेती को अधिक लाभकारी बनाने पर बल दे रही है और लागत कम तथा लाभ अधिक करने के प्रयास कर रही है। श्रीमती मुर्मु ने बुधवार को संसद के बजट सत्र के शुरू होने पर यहां नये संसद भवन में लोकसभा के सदन में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार खेती को अधिक लाभकारी बनाने पर बल दे रही है। उन्होंने कहा, “ हमारा यह प्रयास है कि खेती में लागत कम हो और लाभ अधिक हो।” राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने पहली बार 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को भी देश की कृषि नीति और योजनाओं में प्रमुखता दी है। पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत दो लाख 80 हज़ार करोड़ रुपए किसानों को मिल चुके हैं। पिछले दस वर्ष में किसानों के लिए बैंक से आसान ऋण में तीन गुना वृद्धि की गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों ने 30 हज़ार करोड़ रुपए प्रीमियम भरा। इसके बदले उन्हें डेढ़ लाख करोड़ रुपए का दावा मिला है। पिछले 10 वर्षों में, लगभग 18 लाख करोड़ रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में धान और गेहूं की खेती करने वाले किसानों को मिले हैं। यह 2014 से पहले के 10 वर्ष की तुलना में ढाई गुना अधिक है। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में तिलहन और दलहन की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में सवा लाख करोड़ रुपए मिले हैं। पहले तिलहन और दलहन फसलों की सरकारी खरीद नहीं के बराबर थी। सरकार ने पहली बार देश में कृषि निर्यात नीति बनाई है। कृषि निर्यात चार लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा है। किसानों को सस्ती खाद के लिए 10 वर्ष में 11 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं। सरकार ने पौने दो लाख से ज्यादा प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं। इसके अलावा लगभग आठ हज़ार किसान उत्पादक संघ बनाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि में सहकारिता को बढ़ावा दे रही है। सहकारी क्षेत्र में, दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की गई है। दाे लाख नयी समितियां बनाई जा रही हैं। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि मत्स्य-पालन क्षेत्र में 38 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाएं चलाई जा रही है, जिसके कारण मत्स्य उत्पादन पिछले दस साल में 95 लाख टन से बढ़कर 175 लाख टन यानी लगभग दोगुना हो गया है। इनलैंड फिशरीज का उत्पादन 61 लाख टन से बढ़कर 131 लाख टन हो गया। मत्स्य-पालन क्षेत्र में निर्यात भी 30 हजार करोड़ रुपए से बढकर 64 हजार करोड़ रुपए तक, यानी दोगुने से ज्यादा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार पशुपालकों और मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया गया है। पिछले दशक में, प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 40 प्रतिशत बढ़ी है। पशुओं को खुरपका और मुंहपका बीमारियों से बचाने के लिए पहली बार मुफ्त टीकाकरण अभियान चल रहा है। चार चरणों में, 50 करोड़ से ज्यादा टीके, पशुओं को दिए जा चुके हैं।

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