बिलासपुर। प्रदेश सरकार की ओर से चलाए जा रहे श्री रामलला दर्शन यात्रा योजना के खिलाफ पेश जनहित याचिका को हाईकोर्ट के डबल बेंच ने खारिज कर...
बिलासपुर।
प्रदेश सरकार की ओर से चलाए जा रहे श्री रामलला दर्शन यात्रा योजना के
खिलाफ पेश जनहित याचिका को हाईकोर्ट के डबल बेंच ने खारिज कर दिया है।
योजना को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका पेश की
गई थी। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश वासियों के लिए श्री रामलला दर्शन
योजना शुरू की गई है। इस संबंध में 10 जनवरी को कैबिनेट में प्रस्ताव पास
किया गया। कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय को एक धर्म के लोगों को सरकार
की ओर से निश्शुल्क यात्रा कराए जाने को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताते
हुए लखन सुबोध ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका पेश की। याचिका में निर्णय को
गलत बताया गया। याचिका की सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट को बताया कि
कैबिनेट की बैठक के अलावा इस योजना के लिए अलग से अधिसूचना प्रकाशित की गई
है। इसमें कहीं भी इस यात्रा को एक ही धर्म के लिए यात्रा नहीं कहा गया है।
यह योजना छत्तीसगढ़ के नागरिकों के लिए है। कोई भी धर्म का व्यक्ति इस
योजना के तहत यात्रा कर सकता है। सभी पक्ष को सुनने के बाद चीफ जस्टिस रमेश
सिन्हा एवं जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच ने सरकार के अधिकार
पर हस्तक्षेप से इन्कार कर किया। यात्रा प्रदेश के नागरिकों के लिए होने और
धार्मिक यात्रा नहीं होने पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट
ने इसे जनहित याचिका नहीं माना है।
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