वाराणसी । लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। सियासी दलों के खेमों में सियासी जंग की व्यूहरचना तेज हो चली है। उन तैयारियों से वह पूर्वां...
वाराणसी
। लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। सियासी दलों के खेमों में सियासी
जंग की व्यूहरचना तेज हो चली है। उन तैयारियों से वह पूर्वांचल भी अछूता
नहीं है जो पिछले दो आम चुनाव से प्रदेश व देश की राजनीति में चर्चा में
बनता रहा है। पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी इसी पूर्वांचल में आता
है। पूर्वांचल की तीन मंडलों की 12 लोकसभा सीटों के लिए छठे और सातवें चरण
(25 मई और एक जून) को मतदान होंगा। इन सीटों पर अभी तक भाजपा गठबंधन के छह
और सपा समेत इंडिया गठबंधन के पांच प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। अभी तक
घोषित प्रत्याशियों के नामों से साफ लगता है कि जातीय समीकरण के इर्दगिर्द
ही राजनीतिक दलों की जोर आजमाइश होने वाली है।
पिछली बार सपा व बसपा
गठबंधन ने भाजपा की अगुवाई वाले राजग गठबंधन को कड़ी चुनौती दी थी। इस बार
सपा और कांग्रेस मिलकर लड़ रहे हैं। बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान
किया है। ऐसे में इस बार त्रिकोणीय लड़ाई दिखाई दे रही है। 2014 के आम
चुनाव में भाजपा गठबंधन को 12 में 11 और 2019 के चुनाव में सात सीटों पर
विजय हासिल हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन को 12 में
पांच सीटों पर जीत मिली थी।
इनमें आजमगढ़ सीट 2022 के उपचुनाव में भाजपा
की झोली में चली गई थी। पूर्वांचल में सामाजिक व जातीय समीकरण ही राजनीतिक
दलों के चुनावी रथ को गति देते रहे हैं तो भी उन जबरदस्त समीकरणों में
चुनावी रथ के पहिए फंसे भी हैं। 12 लोकसभा क्षेत्रों में 2019 के चुनाव
परिणाम इसका उदाहरण हैं। इसलिए सभी दलों की चुनावी रणनीति स्थानीय समीकरणों
के इर्द-गिर्द ही दिखेगी।
दो वीआईपी सीटों पर देश की निगाहें
पूर्वांचल
की 12 लोकसभा सीटों में दो वीवीआईपी भी हैं। एक बनारस और दूसरी आजमगढ़।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रत्याशी घोषित होने के
साथ वाराणसी लोकसभा क्षेत्र प्रदेश व देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार हो
चुका है। वहीं, आजमगढ़ लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव के परिवार का ही
उम्मीदवार घोषित होने से चर्चा में है। इस बार धर्मेंद्र यादव को सपा ने
मैदान में उतारा है। बीच में अखिलेश के खुद उतरने की चर्चा थी। पिछली बार
अखिलेश ही मैदान में थे। विधानसभा में चुने जाने के बाद अखिलेश ने इस्तीफा
दे दिया था। उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को उतारा लेकिन भाजपा के निरहुआ ने
जीत हासिल कर ली थी।
वाराणसी में इस बार जीत का अंतर बढ़ाने में जुटी भाजपा
भाजपा
का गढ़ वाराणसी सीट पूरे पूर्वांचल को प्रभावित करती है। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस से
गठबंधन होने के बाद सपा ने अपने घोषित प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया है।
अब यहां कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगी। 2019 में नरेंद्र मोदी ने
479,505 वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी।
2014 के लोकसभा चुनाव
में भी मोदी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार व दिल्ली के सीएम अरविंद
केजरीवाल को 371,784 वोटों के अंतर से हराया था। भाजपा इस बार प्रधानमंत्री
की जीत के अंतर को बढ़ाने में जुटी है। क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप सिंह पटेल
का कहना है कि यहां हमारा लक्ष्य देश में मतों के सर्वाधिक अंतर से जीत का
है।
आजमगढ़ में सपा के लिए गढ़ बचाने की है चुनौती
आजमगढ़
में इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है क्योंकि सपा की गढ़ मानी
जाने वाली यह सीट 2022 के उपचुनाव में भाजपा के पाले में चली गई थी। भाजपा
ने एक बार फिर निवर्तमान सांसद दिनेशलाल यादव निरहुआ को यहां से टिकट दिया
है। शनिवार को सपा प्रत्याशियों की नई सूची जारी होने के पहले तक आजमगढ़
से अखिलेश यादव के लड़ने की चर्चा थी लेकिन सपा ने अखिलेश के चचेरे भाई
धर्मेन्द्र सिंह यादव पर ही फिर दांव लगाया है।
इस सीट के समीकरणों से
जुड़ा एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि 2022 के उपचुनाव में सपा की हार के
प्रमुख कारण माने गए बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली अब सपा में
हैं। भाजपा ने सपा को डेढ़ मतों से हराया था। बसपा के जमाली को ढाई लाख वोट
मिले थे।
पूर्वांचल की 12 सीटों की स्थिति-2019
भाजपा
गठबंधन ने वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, राबर्ट्सगंज, बलिया और
मछलीशहर कुल सात सीटें जीती थीं। सपा-बसपा गठबंधन ने पांच सीटें जीती थीं।
इनमें आजमगढ़ में सपा और लालगंज, गाजीपुर, घोसी और जौनपुर में बसपा जीती
थी। इससे पहले 2014 में आजमगढ़ को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली
थी।
भाजाप गठबंधन से अभी तक घोषित प्रत्याशी
वाराणसी-नरेन्द्र
मोदी, चंदौली-डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय, जौनपुर-कृपाशंकर सिंह, लालगंज
(सुरक्षित)-नीलम सोनकर, आजमगढ़-दिनेश लाल निरहुआ, घोसी-सुभासपा के अरविंद
राजभर
सपा गठबंधन से घोषित प्रत्याशी
चंदौली-वीरेंद्र
सिंह, गाजीपुर-अफजाल अंसारी, आजमगढ़-धर्मेन्द्र सिंह यादव, लालगंज
(सुरक्षित)-दरोगा सरोज, भदोही- ललितेशपति त्रिपाठी (टीएमसी)।
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