रायपुर। छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद कौन थी? यह प्रश्न अगर युवा पीढ़ी से किया जाए तो संभवत वे नाम नहीं बता पाए। आज हम उनसे आपका परिचय ...
रायपुर। छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद कौन थी? यह प्रश्न अगर युवा पीढ़ी
से किया जाए तो संभवत वे नाम नहीं बता पाए। आज हम उनसे आपका परिचय करवा
रहे हैं। मिनीमाता अगम दास गुरु। मूल नाम मीनाक्षी देवी। जी हां, ये वह
शख्सियत थीं, जो अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित
सीट से वर्ष 1952 में लोकसभा की प्रथम महिला सांसद चुनी गई थीं। उन्होंने
1955 में अस्पृश्यता निवारण अधिनियम पारित कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
मीनाक्षी देवी उर्फ मिनीमाता का जन्म 13 मार्च, 1913 को असम के दौलगांव में
हुआ। उन्हें असमिया, अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का
अच्छा ज्ञान था। वह सत्य, अहिंसा एवं प्रेम की साक्षात प्रतिमूर्ति थीं।
उनका विवाह गुरुबाबा घासीदास जी के चौथे वंशज गुरु अगमदास से हुआ। विवाह के
बाद वे छत्तीसगढ़ आईं, तब से उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए अपना
पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गुरु अगमदास जी की प्रेरणा से स्वाधीनता के
आंदोलन, समाजसुधार और मानव उत्थान कार्यों में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा
लिया। स्वतंत्रता के बाद लोकसभा का प्रथम चुनाव 1951-52 में संपन्न हुआ। वे
कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। 1957 से 1971 तक
वह जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहीं। प्रथम महिला सांसद के रूप
में दलितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिए उन्हें
हमेशा याद किया जाता है। मिनीमाता की स्मृति में भूपेश बघेल की सरकार ने
असंगठित क्षेत्रों के कमजोर आय वर्ग की श्रमिक महिलाओं को प्रसूति के लिये
आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाली भगिनी प्रसूति सहायता योजना का नाम बदलकर
‘मिनीमाता महतारी जतन योजना’ कर दिया है। मिनीमाता के योगदान को चिरस्थायी
बनाने के लिए तत्कालीन मध्यप्रदेश में हसदेव बांगो बांध को मिनीमाता के नाम
पर रखा गया था। वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद सरकार ने मिनीमाता सम्मान
की स्थापना की थी। बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी सांसद मिनीमाता की अपने
प्रखर नेतृत्व क्षमता की बदौलत राष्ट्रीय नेताओं के बीच अलग पहचान थी। दलित
शोषित समाज ही नहीं सभी वर्गो ने उनके नेतृत्व को मान्य किया था। उन्होंने
संसद में अस्पृश्यता निवारण अधिनियम-1955 पारित कराने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई। मिनीमाता समाज हितैषी कार्यों की वजह से लोकप्रियता के शीर्ष
पर पहुंची। मिनी माता ने जिस समय सियासत में कदम रखा था, उस समय अविभाजित
मध्यप्रदेश में शुक्ल परिवार का दबदबा था। पंडित रविशंकर शुक्ल राज्य के
पहले सीएम बने थे। मिनी माता के समाज के क्षेत्र में किए गए कामों के कारण
शुक्ल परिवार भी मिनी माता का सम्मान करता था। विमान दुर्घटना में 11
अगस्त, 1972 को मिनी माता की मृत्यु हो गई थी।
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