रायपुर। पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित ग्रामीण औद्योगिक पार्क ( रीपा ) यो...
रायपुर। पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण
विकास विभाग के अंतर्गत संचालित ग्रामीण औद्योगिक पार्क ( रीपा ) योजना में
जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। राज्य सरकार ने 15 फरवरी को मुख्य सचिव की
अध्यक्षता में गठित कमेटी से तीन महीने के भीतर जांच कराने का निर्णय लिया
था। लेकिन, अभी तक केवल जांच के बिंदु ही तय हो पाएं हैं। रीपा में हुए
भ्रष्टाचार की जांच के लिए छह बिंदु तय किए गए हैं। बताया जाता है कि जांच
बिंदुओं में विजन दस्तावेज और डीपीआर बनाने में गड़बड़ी, अधोसंरचना निर्माण
में एजेंसियों की मनमानी, मशीनों का क्रय में गड़बड़ी, उत्पादित सामग्री
की मार्केटिंग, दूसरे मद की राशि का उपयोग शामिल हैं। साथ ही रीपा का आगे
क्या उपयोग किया जाएगा को भी जांच बिंदु में शामिल किया गया है। राज्य
सरकार जांच रिपोर्ट के बाद तय करेगी कि रीपा को आगे चलाया जाए या नहीं।
जांच बिंदुओं को लेकर विगत चार दिनों पहले मंत्रालय में उच्च अधिकारियों की
बैठक हुई थी, जिसमें तय छह बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच करने का निर्णय
लिया गया। फिलहाल, प्रदेश के 146 विकासखंडों में संचालित 300 रीपा केंद्र
जांच के दायरे में है। ग्रामीण क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के
लिए चल रही योजना में कई खामियां उजागर हो चुकी हैं। जशपुर में एक रीपा के
डीपीआर के लिए ही अधिकारियों ने 80 लाख रुपये खर्च कर दिया था। इसी तरह
अन्य रीपा का भी हाल है। रीपा में भ्रष्टाचार की जांच के लिए संभागवार
अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। रायपुर संभाग की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव
निहारिका बारिका, दुर्ग की सचिव कमलप्रीत सिंह, बिलासपुर की सचिव मुकेश
बंसल, बस्तर की सचिव अंकिता आनंद और सरगुजा की सचिव शमी आबिदी को सौंपी गई
है। संभागों में विकासखंडवार जांच के लिए छह-छह सदस्यीय टीम गठित की गई है,
जिसमें संचालक, संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। टीम को दस
दिनों के भीतर विभाग को जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है।
इस संबंध में राज्य शासन की ओर से आदेश भी जारी किया गया है।विधानसभा में
प्रश्नकाल के दौरान रीपा का मुद्दा जोर-शाेर से उठा था। भाजपा के धरमलाल
कौशिक ने बताया था कि दंतेवाड़ा के एक रीपा के लिए 90 लाख रुपये की लागत से
खरीदी की गई है। सरपंचों से जबरदस्ती हस्ताक्षर कराए गए। रीपा में छह सौ
करोड़ की गड़बड़ी हुई है। 300 रीपा का पूरी तरह से भौतिक सत्यापन भी नहीं
हुआ है। जशपुर जिले के एक रीपा के लिए 80 लाख रुपये सिर्फ प्रोजेक्ट बनाने
में खर्च कर दिया गया, जबकि रीपा की लागत ही दो करोड़ रुपये रखी गई थी।
विधानसभा में अजय चंद्राकर ने भी कहा था कि रीपा के नाम पर जो खरीदी की गई,
मौके पर वह है ही नहीं। प्रदेश में रीपा का एक भी प्रोजेक्ट सफल नहीं हुआ
है। पूर्ववर्ती सरकार ने रीपा का प्रोजेक्ट बनाया था। किसानों की आय बढ़ाने
के उद्देश्य से खेती-किसानी के साथ ही गांव में उद्यम लगाने के लिए
वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने के उद्देश्य से रीपा योजना शुरू की गई थी।
इसकी लागत दो करोड़ रुपये रखी गई थी। इसमें 1.20 करोड़ रुपये में
अधोसंरचना, पांच लाख रुपये तकनीकी कार्य, 40 लाख रुपये में मशीनरी, वर्किंग
कैपिटल, 35 लाख ब्रांडिंग मार्केटिंग, पंपलेट, होर्डिंग्स,
क्रेता-विक्रेता सम्मेलन, कानूनी सलाह में खर्च करने का प्रविधान था।
नियमों के अनुसार, तीन एकड़ की जमीन की अर्हता बताई थी, जिसमें एक एकड़ में
अधोसंरचना और शेष में पार्किंग व गोदाम स्थापित किया जाना था।
No comments