बिलासपुर। अक्षय तृतीया 2024: अक्षय तृतीया एक ऐसा पर्व है जो छत्तीसगढ़ में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूरा माहौल त्योहा...
बिलासपुर।
अक्षय तृतीया 2024: अक्षय तृतीया एक ऐसा पर्व है जो छत्तीसगढ़ में उत्साह
और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूरा माहौल त्योहार का रहता है। इस
परंपरा का निर्वहन प्रदेश मे लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी करते चले आ रहे हैं।
परंपरा का निर्वहन ऐसा कि लोग दो दिन पहले ही तैयारी में जुट जाते हैं। इस
दिन बाजार भी गुलजार हो जाता है। अक्षय तृतीया का पूरा दिन शुभ माना जाता
है तभी तो इसे सर्वसिद्ध मुहूर्त कहा जाता है। ऐसा मुहूर्त जिसमें पंचांग
देखने की आवश्यकता ही नहीं होती। तभी तो इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग
अपने बेटे बेटियों की शादी भी शुभ मुहूर्त में कर देते हैं। मान्यता यही है
कि इस दिन धन की अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के
देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की
कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अक्षय तृतीया के पावन दिन ही
भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस दिन को भगवान
परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बच्चों को अक्षय
तृतीया के पर्व की महत्ता बताने के लिए गुड्डे-गुड़िया की शादी रचाई जाती
है। विवाह 16, संस्कारों में से एक संस्कार है। जिस घर में शादी होती है
वहां सुख और खुशी का माहौल होता है। इसलिए अधिकांश विवाह अक्षय तृतीया के
दिन होते हैं। अक्षय तृतीया के दिन हर घर में मिट्टी के गुड्डे-गुड़ियों का
विवाह रचाया जाता है। इसके लिए कपड़े की खरीदारी अवश्य की जाती है। घर-घर
में विवाह की रस्में निभाई जाती हैं। गुड्डे गुड़िया का विवाह रचाते समय
दोनों पक्षों के लोग तालाब से चुलमाटी लेने जाते हैं। उसके बाद देवी
देवताओं की प्रतिष्ठा करते हैं। आम के पत्ते तथा केले के पत्तों से मंडप
सजाया जाता है, फिर गुड्डा गुड़िया को तेल हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाते
हैं। मंत्रोच्चारण के साथ सात फेरे कर कन्यादान के साथ समधी भेंट दी जाती
है। इसके बाद विदाई आदि रस्मों को पूरा किया जाता है। अक्षय तृतीया पर्व
का माहौल बाजार में दिखाई देने लगा है। ज्वलेरी से लेकर कपड़ों की दुकान और
विवाह के सामान से लेकर गुड्डे गुड़िया का बाजार भी सजधज कर तैयार हो गया
है। लोग खरीदारी भी करते नजर आ रहे हैं। बच्चों में खासकर उत्साह का माहौल
दिखाई दे रहा है। लोखंडी में भगवान परशुराम का भव्य मंदिर समाज के लोगों ने
बनवाया है। यहां इस दिन परशुराम जी की पूजा अर्चना की जाएगी। पूजा अर्चना
के साथ ही शहर में शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। ब्राम्हण समाज के
पदाधिकारियों ने शोभायात्रा को भव्य स्वरूप देने के लिए बैठकों का आयोजन भी
प्रारंभ कर दिया है।
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