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उरकुरा हादसे की उच्च स्तरीय जांच तेज

   रायपुर। उरकुरा स्टेशन से गुजर रही शालीमार एक्सप्रेस के एसी कोच से ड्रिलिंग राड टकराने के मामले की जांच तेज कर दी गई है। रेलवे के संरक्ष...

 

 रायपुर। उरकुरा स्टेशन से गुजर रही शालीमार एक्सप्रेस के एसी कोच से ड्रिलिंग राड टकराने के मामले की जांच तेज कर दी गई है। रेलवे के संरक्षा विभाग के साथ ही जोन मुख्यालय के सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड के अधिकारी एसएजी स्तर की जांच कर रहे हैं। बिजली कंपनी के अधिकारियों ने घटना के जिम्मेदार कांट्रेक्टर सुदेश राजपूत को रेलवे की जांच टीम के सामने पेश किया। वहां राजपूत से घंटों पूछताछ की गई। कांट्रेक्टर राजपूत ने स्वीकार किया कि बिना शेड्यूल के उरकुरा फाटक पर निर्धारित मानकों की अनदेखी कर मजदूरों द्वारा काम किया जा रहा था। इधर रायपुर आरपीएफ पोस्ट ने घटना स्थल पर काम कर रहे ठेका श्रमिक राज गोड़ और कैलाश पटेल को रेलवे अधिनियम की धारा 179(2) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। श्रमिकों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। आरपीएफ ने मामले में धारा 153,174 सी, 147 का केस दर्ज किया है। आरपीएफ पोस्ट प्रभारी एस दत्ता ने बताया कि फिलहाल दर्ज एफआइआर में कांट्रेक्टर सुदेश राजपूत का नाम शामिल नहीं किया गया है। जांच में जो दोषी पाया जाएगा, उसकी गिरफ्तारी होगी। उरकुरा रेल हादसे को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। गनीमत है कि ड्रिलिंग राड रेलपटरी और ट्रेन के पहिए के बीच नहीं फंसा, वरना एक्सप्रेस ट्रेन के डिरेल होने से एक बड़ा हादसा हो सकता था। इस मामले में रेलवे और बिजली कंपनी के अधिकारियों के अलग-अलग बयान भी चौंकाने वाले हैं। सवाल यह उठ रहा है कि यात्री ट्रेन के तेज रफ्तार से गुजरने के दौरान बिजली कंपनी के कांट्रेक्टर को केबलिंग का काम करने की इजाजत किसने दी?   इस मामले में स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) के ईई पीके सिंह का दावा है कि वे रेल मंडल से अनुमति लेकर काम करा रहे थे। मौके पर रेलवे के कोई अधिकारी नहीं थे। वहीं रेलवे के अधिकारी बिना अनुमति के कांट्रेक्टर द्वारा काम कराने की बात कह रहे हैं। अधिकारियों ने माना कि ट्रेन में सफर कर रहे हजारों यात्रियों की जान को जोखिम में डालना गंभीर लापरवाही है। जवाबदेह ठेकेदार, रेलवे और बिजली कंपनी के हर जिम्मेदार पर कार्रवाई होनी चाहिए। बिजली वितरण कंपनी के मुख्य अभियंता (परियोजना) ने ठेका कंपनी मेसर्स सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन बिलासपुर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि 17 मई की सुबह 11.30 बजे काम कराते समय लोकेटर मशीन खराब हो जाने से काम बंद कर दिया गया था। मशीन सुधारने की जानकारी न तो रेलवे और न बिजली कंपनी के प्रतिनिधि को दिए बिना ही 19 मई को रिमर चलाने का काम शुरू कर दिया गया, जबकि जिस रास्ते से पायलट गया हुआ था, वही मार्ग रिमर के लिए निर्धारित था, लेकिन ड्रिलिंग मशीन आपरेटर ने तकनीकी तौर पर गलती की, जिसके कारण भूमिगत ड्रिलिंग साफ्ट रिमर का मार्ग परिवर्तित होकर रेलवे ट्रैक के ऊपर आकर अप ट्रैक पार करके डाउन ट्रैक की ओर उठ गया। उसी समय ट्रैक पर आ रही शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों से रिमर टकराता गया। उरकुरा रेलवे फाटक पर अंडरग्राउंड केबलिंग का काम करा रहे मेसर्स सिद्वि विनायक कंस्ट्रक्शन चकरभाठा, बिलासपुर को बिजली कंपनी ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ उसके पंजीयन को अस्थायी तौर पर निलंबित कर आगामी तीन वर्ष तक कंपनी के निविदा में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही कंपनी में जमा एफडीआर की राशि एक करोड़ रुपये को राजसात करने के आदेश दिए हैं। मशीन आपरेटर और अन्य के पास नहीं मिला अधिकार पत्र ड्रिलिंग मशीन आपरेटर मप्र के दमोह जिले के पिपरिया, टिकरी गांव के राज गोड़ (18) ने आरपीएफ को दिए गए बयान में बताया कि बिजली कंपनी की ठेका कंपनी की ओर से पिछले तीन दिनों से ड्रिलिंग पुशिंग का काम कराया जा रहा था। रविवार को सुबह 8.30 बजे ठेका कंपनी के अमर ने फोन पर काम चालू करने को कहा। इसके बाद मशीन द्वारा ड्रिलिंग कर रहे थे, उसी समय ट्रेन उरकुरा फाटक से पार होने को पहुंची। बंद गेट के पास खड़े लोगों ने बताया कि ड्रिल मशीन का हेड जमीन से बाहर निकलकर ट्रेन से टकरा रहा है। उसने तत्काल मशीन को बंद कर जाकर देखा तो पाया कि 15 फीट पाइप नोजल हेड के साथ जमीन के ऊपर लटक लटक रहा था, जिससे ट्रेन का कोच टकराया था। राज के साथ ही दमोह जिले के अभाना गांव के कैलाश पटेल (27) का बयान दर्ज किया गया। दोनों के पास ठेका कंपनी का अधिकार पत्र नहीं पाया गया। इन्होंने कहा कि ठेकेदार शेखर यादव और सुपरवाइजर अमर के कहने पर काम कर रहे थे। आरपीएफ ने घटनास्थल से ड्रिल मशीन, एक लोहे का पाइप, पानी टैंकर, ट्रैक्टर और ट्रक जब्त किया है। 

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