बिलासपुर। रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने सूबेदार, सब-डब्ल्यूईडी इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर (विशेष शाखा), प्ल...
बिलासपुर। रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने सूबेदार, सब-डब्ल्यूईडी
इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर (विशेष शाखा),
प्लाटून कमांडर, सब-इंस्पेक्टर की नियुक्ति के लिए राज्य द्वारा शुरू की गई
चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए राहत की मांग की थी। हस्तलेखन विशेषज्ञ,
उप-निरीक्षक (प्रश्नांकित दस्तावेज़), सभी श्रेणियों में विज्ञापन दिया गया
था। अवर निरीक्षक और सब-इंस्पेक्टर (रेडियो)। कुल 975 रिक्तियां। कोर्ट
द्वारा 23 अगस्त 2023 को पारित आदेश के परिपालन में राज्य द्वारा बंद
लिफाफे में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। याचिकाओं के इस समूह में,
अधिकांश याचिकाओं में प्रतिवादियों द्वारा उत्तर दाखिल किया जा चुका है।
कुछ याचिकाओं में, उत्तर अभी भी प्रतीक्षित है। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह
प्रस्तुत किया गया है कि चूंकि कुछ याचिकाओं में अभी तक जवाब दाखिल नहीं
किया गया है, इसलिए याचिकाओं के त्वरित निपटान की कोई संभावना नहीं है।
राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता संदीप दुबे और संबंधित उत्तरदाताओं की
ओर से उपस्थित अन्य वकील याचिकाकर्ताओं की ओर से मांग की है कि जिन
याचिकाओं में अभी तक उत्तर दाखिल नहीं किया गया है, उन्हें तीन सप्ताह के
भीतर दाखिल किया जाएगा और फिर मामले की अंतिम सुनवाई हो सकती है। यह आगे
प्रस्तुत किया गया है कि 11 अगस्त 2023 को इस न्यायालय ने तत्काल याचिका
में यानी, 2023 की रिट याचिका में पहले ही इस आशय का आदेश पारित कर दिया है
कि कोई भी की गई भर्ती रिट याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन होगी। मामले की
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दायर की थी। एसएलपी को सुप्रीम
कोर्ट ने एक सितंबर 2023 के आदेश के तहत पहले ही खारिज कर दिया है। इसलिए,
यह प्रस्तुत किया गया है कि अब, भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने वाला कोई
आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। जवाब पेश करने की दी मोहलत हाई कोर्ट
ने उन याचिकाकर्ताओं को जिन्होंने अब तक जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह
की मोहलत दी थी।
यह था पूरा विवाद
उल्लेखनीय
है कि, एसआई- प्लाटून कमांडर भर्ती के लिए प्रारंभिक एग्जाम लिया गया और
मेरिट सूची जारी की गई थी। व्यापम ने मुख्य परीक्षा के पहले ही आरक्षण
रोस्टर का पालन करते हुए कैटेगरी वाइज सूची जारी कर दी गई थी। जिसके कारण
जनरल कैटेगरी के बहुत से उम्मीदवारों का नाम सूची में नहीं आ सका।
व्यावसयिक परीक्षा मंडल की ओर से जारी सूची को चुनौती देते हुए जनरल
कैटेगरी के उम्मीदवारों ने अपने-अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट में अलग-अलग
याचिकाएं दायर की थीं। केस में उनकी तरफ से सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी,
अभिषेक सिन्हा सहित दूसरे वकील ने पैरवी की थी।
20 गुना उम्मीदवारों का नहीं हुआ चयन
याचिकाकर्ताओं
के वकील ने बताया कि, सूची में भर्ती नियमों का पालन नहीं किया गया और
नियमों के खिलाफ प्रारंभिक सूची जारी की गई। इस वजह से याचिकाकर्ताओं को
मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। याचिका में यह भी बताया गया था कि,
नियमानुसार प्रारंभिक सूची में खाली पदों के 20 गुना उम्मीदवारों का चयन
किया जाना था। लेकिन, कैटेगरी वाइस प्रारंभिक सूची बनाई गई है, जिसका
खामियाजा जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा और उन्हें मुख्य
परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। नियम विरुद्ध होने के कारण इस सूची को
निरस्त कर कर नए सिरे से मेरिट सूची जारी करने की मांग की गई है।
महिला आरक्षण में भी गड़बड़ी के लगे आरोप
याचिका
की सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया था कि, छत्तीसगढ़ का मूल निवास प्रमाण
पत्र रखने वाली महिला उम्मीदवारों को 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।
प्लाटून कमांडर के 728 पदों को छोड़कर महिला अभ्यर्थी पात्र हैं। विज्ञापन
के अनुसार 728 पदों का 30 प्रतिशत के हिसाब से 218 पद हो जाएंगे।ऐसे में
नियम 6 के मुताबिक विज्ञापित खाली पदों की संख्या से 20 गुना अभ्यर्थियों
पर मुख्य परीक्षा के लिए विचार किया जाना है। यानी 218 पदों पर मुख्य
परीक्षा में शामिल होने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 4 हजार 368 होगी।
लेकिन, मेरिट लिस्ट में 6 हजार 13 महिला उम्मीदवारों को शामिल किया गया
है। इसके चलते बड़ी संख्या में पुरुष उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए चयनित
नहीं हो सके।
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