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अधिकारियों की अनदेखी ने 6 साल में ही बसें बना दीं कबाड़

  रायपुर। पंडरी बस डिपो में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहीं सिटी बसों में ज्यादातर वातानुकुलित (एसी) बसें हैं। जानकारी के अनुसार, 21 में से 17 बसे...

 

रायपुर। पंडरी बस डिपो में खड़े-खड़े कबाड़ हो रहीं सिटी बसों में ज्यादातर वातानुकुलित (एसी) बसें हैं। जानकारी के अनुसार, 21 में से 17 बसें वातानुकुलित हैं। वहीं पांच सामान्य बसें हैं, जिन्हें बनवाने के पीछे भी खेल किया गया है। निगम के ही कुछ अधिकारियों का कहना है कि एसी बसों को बनवाने में खर्च ज्यादा आ रहा था, इसलिए उन्हें नहीं बनवाया गया। इनको चलना भी मंहगा पड़ता है। बस ऑपरेटर्स को एसी की अपेक्षा सामान्य बसों में कमाई ज्यादा है।इसलिए बसों की मरम्मत के लिए सरकार की तरफ से मिले एक करोड़ 24 लाख रुपये में से 85 लाख खर्च कर सामान्य बसों की मरम्मत कराने में ऑपरेटर ने रुचि दिखाई। वहीं, एसी बसों को कबाड़ होने के लिए जस का तस छोड़ दिया गया है। एसी और सामान्य दोनों प्रकार के बसों की मरम्मत में करीब दो करोड़ का खर्च आ रहा था। सूत्र बताते हैं कि बसों की मरम्मत के लिए 1.24 करोड़ रुपये का एस्टीमेट राज्य शासन को दिया गया था। राशि मिलने के बाद जब काम शुरू कराया गया, तो खर्च 2 करोड़ रुपये आने लगा। तब जिम्मेदार अधिकारियों सहित बस ऑपरेटर ने तय किया कि छोटी सामान्य बसों को पहले बनवाया जाए।

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