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प्रदेश के छात्रावासों में दो हज़ार सीटों की वृद्धि होगी : मुख्यमंत्री श्री साय ने किया आठ करोड़ रुपए से अधिक लागत से बने पाँच कन्या छात्रावासों का शुभारंभ

  अनुसूचित जाति की तीन सौ छात्राओं को पढ़ाई के लिए आवासीय सुविधा मिलेगी श्रमिक कल्याण योजनाओं से भी लाभान्वित हुए कई परिवार, छात्राओं को निःश...

 

अनुसूचित जाति की तीन सौ छात्राओं को पढ़ाई के लिए आवासीय सुविधा मिलेगी

श्रमिक कल्याण योजनाओं से भी लाभान्वित हुए कई परिवार, छात्राओं को निःशुल्क साइकिल वितरण भी किया

एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत मुख्यमंत्री ने कन्या आश्रम में रोपा रामफल का पौधा

रायपुर । मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज आरंग में पाँच कन्या छात्रावासों का शुभारंभ किया। पाँचो छात्रावासों के शुरू हो जाने से अनुसूचित जाति की तीन सौ कन्याओं की अपनी पढ़ाई के लिए आवासीय सुविधा मिलेगी। इन छात्रावासों की लागत आठ करोड़ छह लाख रुपये से ज्यादा है। मुख्यमंत्री ने पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 100 सीटर लागत 174.67 लाख, प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास मंदिर हसौद, 50 सीटर लागत 174.67 लाख, अनुसूचित जाति कन्या आश्रम आरंग 50 सीटर लागत 162.76 लाख, अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आश्रम 50 सीटर लागत 162.76 लाख, नवीन प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 50 सीटर लागत 152.97 लाख रूपए का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कन्या छात्रावास परिसर में एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत रामफल के पौधे का रोपण किया।

इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के सभी हॉस्टल, छात्रावासों में दो हजार सीटों की वृद्धि करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने माइनर नगर वितरक शाखा क्रमांक-एक पोढ़ापार रसोटा तुलसी केशला के जीर्णाेद्धार, आरंग एसडीएम और तहसील कार्यालय के कर्मचारियों के लिए आवास के निर्माण, आरंग रेस्ट हाउस का विस्तार और जीर्णाेद्धार करने की घोषणा की। इस मौके पर विधायक गुरू श्री खुशवंत साहेब की मांग पर भण्डारपुरी गुरुद्वारा परिसर के निर्माण के लिए 17 करोड़ रुपये की मंज़ूरी भी दी गई।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छात्रावास के लोकार्पण कर छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि इन भवनों के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग की हमारी बेटियां सुविधापूर्ण तरीके से अपनी शिक्षा को जारी रख सकेंगी और अच्छी तरह पढ़-लिखकर अपने माता-पिता और हमारे प्रदेश का नाम रोशन करेंगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विकास का मूल मंत्र है। शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम ही नहीं है बल्कि उससे भी बढ़कर एक आदर्श समाज की नींव है। किसी भी कार्य को अच्छी तरह कर पाने के लिए शिक्षा का अहम योगदान होता है। 15 साल प्रदेश में डॉ. रमन सिंह की सरकार रही, इन 15 सालों में प्रदेश में शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य हुए। उस समय हमारे प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान टॉप में रहे। उसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में 10 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन के साथ विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता है। हमारी सरकार को कुछ ही माह हुए हैं इतने कम समय में हमने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रदेश की जनता को दी गई गारंटियों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इस क्रम में आरंग विधानसभा के विकास के लिए भी हमने कम समय में 17 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है। पीएम श्री योजना में छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों को शामिल किया गया है। इन स्कूलों के विकास के लिए केंद्र सरकार से 02 करोड़ रूपए का बजट मिलेगा, जिसका उपयोग स्कूल में अच्छे शिक्षकों की उपलब्धता, शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से दिल्ली जाकर आईएएस, आईपीएस परीक्षा की तैयारी करने वाले एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग के छात्रों के लिए दिल्ली में निर्धारित हॉस्टल में सीटों की संख्या की बढ़ोतरी करते हुए उसे 200 किया गया है।  

मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार समाज के बेहतरी, उत्थान और विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि इन कन्या छात्रावासों के शुभारंभ से छात्राओं को बड़ी सुविधा मिलेगी। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही हैै कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में भवन विहीन 180 छात्रावासों के बिल्डिंग निर्माण की स्वीकृति मिली है। वर्तमान में 180 में से 121 भवन के निर्माण के लिए 210 करोड़ रूपए का टेंडर भी लगा दिया गया है। 69 छात्रावास बिल्डिंग निर्माण के लिए निविदा भी अपलोड की जा रही है। प्रदेश के 295 भवनविहीन छात्रावास और आश्रम के भवन निर्माण के लिए भी हमारी सरकार प्र्रतिबद्ध है। श्री नेताम ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने खराब स्थिति वाले छात्रावास के मेंटेनेंस कर उन्हें सर्वसुविधा युक्त बनाने का भी कार्य कर रहे हैं। छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल और अनुकूल सुविधाएं सुनिश्चित कर रहे हैं। एसटी-एससी वर्ग के लिए छात्रावासों आश्रमों में निर्धारित संख्या 3757 है, जिनमें 1,97,000 सीटें है। कई जगहों में आश्रम छात्रावासों में भर्ती की प्रक्रिया भी जारी है। प्रदेशभर में हमने नवीन एकलव्य विद्यालय भी खोले हैं।

उल्लेखनीय है कि इन छात्रावास-आश्रमों में अनुसूचित जाति की छात्राओं को पढ़ाई के लिए प्रवेश दिया जाएगा, जहाँ रहकर वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगी। छात्रावासों में सुसज्जित शयन कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, क्लास रूम्स सहित भोजन कक्ष और पर्याप्त संख्या में शौचालय तथा स्नानागार बनाये गये है। भवनों में बिजली-पानी की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लगभग 20 स्कूली छात्राओं को आने-जाने के लिए निः शुल्क साइकिलें भी वितरित की।

आरंग में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने श्रमिक कल्याण की विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को भी लाभान्वित किया। उन्होंने मिनीमाता महतारी योजना के तहत श्रमिक परिवार की दस महिलाओं को बीस-बीस हज़ार रुपये की सहायता दी। श्री साय ने नोनी सशक्तिकरण योजना के तहतश्रमिक परिवार की  लगभग पंद्रह मेधावी छात्राओं को भी बीस -बीस हज़ार रुपये की राशि के चेक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने दो निर्माण श्रमिकों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि भी प्रदान की। यह राशि निर्माण श्रमिक मृत्यु-दिव्यांग सहायता योजना के तहत दी गई। श्री साय ने दो बुजुर्ग श्रमिकों को बीस बीस हज़ार रुपये की सहायता श्रमिक सियान सहायता योजना के तहत प्रदान की। श्रमिकों के पाँच मेधावी बच्चों को उनकी पढ़ाई जारी रखने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए तीन तीन हज़ार रुपये की सहायता भी दी गई। इस योजना के तहत एक साल में नब्बे दिन निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने वाले पंजीकृत श्रमिक के दो बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए एक हज़ार रुपए से दस हज़ार रुपए तक की सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में पाँच पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय के लिए तीन लाख रुपये से अधिक की सहायता राशि भी प्रदान की। श्री साय ने पशु मित्र योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को भी लगभग तीन लाख रुपये का मानदेय वितरित किया।

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