कोरबा। आमाखोखरा में 11 साल पहले बना जलाशय का पानी अब तक खेतों में नहीं पहुंच सका है। मुआवजा वितरण विवाद और कोरोना काल की वजह से नहर निर्...
कोरबा।
आमाखोखरा में 11 साल पहले बना जलाशय का पानी अब तक खेतों में नहीं पहुंच
सका है। मुआवजा वितरण विवाद और कोरोना काल की वजह से नहर निर्माण में देरी
हुई। जिस नहर का निर्माण 52 करोड़ में पूरा होना था, उसकी लागत दोगुना यानी
104 करोड़ रुपये हो गई है। जल संसाधन विभाग ने फिर से बजट की मांग शासन से
की थी। बढ़ी हुई लागत 52 करोड़ रुपये शासन ने स्वीकृत कर दी है। मुआवजा के
लंबित प्रकरणों के निराकरण के साथ निर्माण कार्य शुरू होगा। 23.10 किलोमीटर
नहर निर्माण का काम पूरा होने से 21 गांव के सात हजार किसान सिंचाई सुविधा
से लाभांवित होंगे। जलसंसाधन कटघोरा अनुविभाग ने 13 साल पहले वर्ष 2011
में आमाखोखरा गांव में जलाशय निर्माण के लिए काम शुरू किया। 2013 में अहिरन
नदी पर 18. 50 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। जलाशय के
लिए तो पर्याप्त जमीन मिल गई पर नहर के लिए निजी जमीन का अधिग्रहण नहीं हो
सका। प्रक्रिया धीमी होने कारण काम लंबित होता चला गया। जमीन का मूल्य समय
के बढ़ने के कारण नहर निर्माण का लागत भी बढ़ गया। निर्मित हो चुके बांध से
केवल कटघोरा नहीं बल्कि पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के खेतों तक पानी पहुंचाना
है। सिंचाई सुविधा बढ़ने की आस लेकर किसान सहयोग के लिए तैयार हैं, कुल खेती
46 फीसदी रकबा ही सिंचित है। अधिकांश किसान छोटे जलाशयों पर निर्भर हैं,
लेकिन नहर विस्तार नहीं होने से सिंचित रकबा में बढ़ोतरी नहीं हो रही। अधूरे
छोटे जलाशय का निर्माण और पूर्ण हो चुके जलाशयों के नहर का विस्तार किया
जाए तो किसानाें को वर्षा आश्रित खेती से मुक्ति मिल सकती है। आमाखोखरा
बांध से 21 गांवों में पानी पहुंचाने के लिए 23.10 किलोमीटर नहर बनाया जाना
है। मुख्य नहर के दाएं व बाएं छोर में आठ शाखा नहर बनाने की योजना हैं,
जिसकी लंबाई 9.93 किलोमीटर है। इन नहरों से पानी खेतों तक पहुंचने से
किसानाें को न केवल खरीफ बल्कि रबी फसल में भी सुविधा होगी। नहर बनाने के
लिए प्रति हेक्टेयर दो लाख 81 हजार रुपये खर्च आएगा। इस जलाशय के पानी का
उपयोग भले ही सिंचाई के लिए नहीं हो रहा हो लेकिन पेयजल आपूर्ति के काम आ
रहा रहा है। नगर पंचायत कटघोरा के 13 हजार आबादी में जलापूर्ति करने पाइप
लाइन बिछाया है। जलाशय निर्माण के समय नगर पंचायत ने जल संसाधन से
जलापूर्ति का अनुबंध किया था। प्रति दिन 1.32 मिलियन घन मीटर पेयजल के रूप
में प्रदाय किया जा रहा। जलाशय निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई सुविधा
देना है। पुन: राशि स्वीकृति होने से निर्माण पूरा होने की उम्मीद एक बार
फिर बंध गई है। आमाखोखरा डायर्वन से जिन गांवों तक पानी पहुंचना है उनमें
जुराली, कसनिया, कापूबहरा, लखनपुर, विजयपुर, अभयपुर, सिंघाली, भेजीनारा,
शुक्लाखार, रोहिना, पुरैना, मड़वाढोढ़ा, मोंगरा, कोरई, बांकी, अरदा,
हर्राभांठा, जमनीमुड़ा, घनाकछार, जमनीमुड़ा, ढपढप, कसरेंगा, ढेलवाडीह शामिल
है। सिंचाई के लिए चिन्हांकित गांवों में अधिकांश कालरी प्रभावित हैं जहां
खदान के कारण वर्षा खेतों में अधिक समय नहीं ठहरता।
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