नयी दिल्ली । केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर आदिवासी महानायकों के स्वाधीनता संग्राम में दिये गये बलिदान और समाज क...
नयी दिल्ली । केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने
पूर्ववर्ती सरकारों पर आदिवासी महानायकों के स्वाधीनता संग्राम में दिये
गये बलिदान और समाज के निर्माण में योगदान की उपेक्षा करने का आरोप लगाते
हुए शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार ने आदिवासी समाज के कल्याण और उत्थान की
दिशा में अनेक कदम उठाये हैं और कई योजनाएं शुरू की हैं। श्री शाह ने आज यहां जनजातीय गौरव दिवस और भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं
जयंती के अवसर पर बांसेरा उद्यान में भगवान बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा का
अनावरण करने के अवसर पर यह बात कही। यह प्रतिमा सराय कालेखां बस अड्डे के
सामने रिंग रोड के निकट बने उद्यान में स्थापित की गयी है। इस अवसर पर निकट
के चौक का नाम भी भगवान बिरसा मुंडा चौराहा रखा गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के केन्द्र में अंतिम बजट जनजातियों के
विकास के लिए 28000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जबकि मोदी सरकार के
2024-25 के बजट में यह राशि बढकर एक लाख 33 हजार करोड़ रुपये पहुंच गयी
है। आदिवासी प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में आदिवासी गांवों में सभी
बुनियादी सुविधाएं पहुंचायी गयी हैं । आदिवासी क्षेत्रों में 708
रेसिडेंशियल मॉडल स्कूल बनाए गये हैं। प्रधानमंत्री विकास मिशन में 15000
करोड़ रुपये और जनजातीय उन्नत ग्राम योजना से गांवों को संपूर्ण रूप से
विकसित करने के लिए और 24000 करोड़ रुपया दिया गया है। मोदी सरकार ने देश
भर में 20 आदिवासी संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी जो वर्ष 2026 तक बन कर
तैयार हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि महान राष्ट्रीय नायक भगवान बिरसा मुंडा ने मात्र 25 वर्ष
की उम्र में इंग्लैंड की महारानी के महल तक आदिवासी और भारतीयों की आवाज
को बुलंद करने का काम किया था तथा अपना बलिदान दिया था। उन्होंने कहा,“ आज
हम सब भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके जीवन से हम उनके
सारे गुना को आत्मसात करके देश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का संकल्प
लेते हैं।” श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2021 में आज के दिन को हमेशा के
लिए आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था क्योंकि आज के
दिन यहां से बहुत दूर एक जनजातीय गांव में भगवान बिरसा मुंडा का जन्म हुआ
था। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आदिवासियों के लिए तो अपनी मूल
संस्कृति के प्रतीक थे ही उन्होंने देश भर के लोगों के लिए भी उदाहरण पेश
किया था। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आजादी के महा नायको में से एक
थे और उन्होंने छोटी सी उम्र में वर्ष 1875 में सेकेंडरी शिक्षा लेते-लेते
धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाने का काम किया था। भगवान बिरसा मुंडा ने कहा
था कि आदिवासी समुदाय के लिए जमीन और जंगल सब कुछ है।
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