Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest

संसद में गतिरोध पर आत्मचिंतन करें जनप्रतिनिधि : धनखड़

  नयी दिल्ली । उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि संसद में जारी गतिरोध पर जनप्रतिनिधियों को आत्मचिंतन करना चाहिए और संविधान की ...

 

नयी दिल्ली । उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि संसद में जारी गतिरोध पर जनप्रतिनिधियों को आत्मचिंतन करना चाहिए और संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप शत-प्रतिशत कर्तव्य परायणता निभानी चाहिए। श्री धनखड ने यहां ‘विकसित भारत 2047 - विज़न ऑफ न्यू इंडिया 3.0’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संसद हमारे प्रजातंत्र का मंदिर है और यहां लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का स्थान है। उन्होंने कहा, “हमें वहां जनता की पूजा करनी चाहिए। लोगों के सपनों को साकार करना है, लेकिन हम ऐसे मंदिर की गरिमा नहीं रख पा रहे हैं। वहां विचार-विमर्श नहीं हो रहा है।” उप राष्ट्रपति ने कहा कि संसद बहस, संवाद, विचार विमर्श और चर्चा का स्थान है, लेकिन वहां बाधा और व्यवधान हो रहा है। उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र का पहला सप्ताह व्यवधान में समाप्त हो गया। व्यवधान और बाधा को हथियार बना लिया गया है। उन्होंने कहा, “मैं पुरजोर अपील करूंगा कि जनप्रतिनिधि अपनी आत्मा को टटोले। अपनी शपथ को ध्यान में रखें, भारत के संविधान की प्रस्तावना को सामने रखें और संसद को शत-प्रतिशत कर्तव्य परायण बनायें।”उन्होंने कहा कि राजनीति के अंदर परिवर्तन के बिना कुछ नहीं होता है और देश में यह परिवर्तन हाे रहा है। सर्वोच्च पद पर जनजाति की महिला और सबसे शक्तिशाली केंद्र सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति हैं। इतिहास में छह दशक के पश्चात किसी प्रधानमंत्री को जनता ने तीसरी बार आशीर्वाद दिया है। श्री धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं है। यह भारत का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। उन्होंने विभिन्न विकास योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के प्रति अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच की सोच बदल रही है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए प्रति व्यक्ति की आय में आठ गुणा वृद्धि करनी होगी। सरकार की नीतियां सकारात्मक है और लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि तीन दशक के बाद लाखों लोगों की राय लेने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण किया गया है। इसे सभी राज्यों को अंगीकार करना चाहिए। हर संस्था का प्रधानाचार्य, निदेशक, उप कुलपति और कुलपति को इस नीति का अध्ययन करना चाहिए क्योंकि नीति बहुत दूरदर्शिता प्रदर्शित करती है।

No comments