नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की हिं...
नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की हिंदू पक्ष की याचिका पर मस्जिद प्रबंधन समिति 'अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद' को नोटिस जारी करके 17 दिसंबर 2024 तक जवाब दाखिल करने का शुक्रवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह नोटिस जारी किया। हिंदू पक्ष की याचिका में 'शिवलिंग' पाए जाने वाले क्षेत्र का एएसआई सर्वेक्षण कराने की गुहार लगाई गई है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले मस्जिद के अंदर के क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था, जहां 16 मई, 2022 को अदालत द्वारा सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के तालाब में कथित तौर पर 'शिवलिंग' पाया गया, जिसे मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमों को एक निचली अदालत, जिला न्यायाधीश के समक्ष रखना बेहतर होगा, जहां मुख्य मुकदम लंबित है। ऐसा करने के बाद उच्च न्यायालय साक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन करने वाला पहला अपीलीय अदालत हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सीलबंद क्षेत्र के एएसआई सर्वेक्षण और मुकदमों की विचारणीयता सहित सभी मुद्दों (जिनके बारे में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित हैं) पर अदालत साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर सुनवाई कर सकती है। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर विचार के लिए अगले महीने की तारीख तय की है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर (बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक) को सबसे पहले 1194 ई. में कुतुब-उद-दीन ऐबक की सेना ने नष्ट किया था। वर्ष 1669 ई. में औरंगजेब ने फिर से मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।उन्होंने दावा किया कि मस्जिद की नींव, स्तंभों और पिछले हिस्से में मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं। हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि जब मुस्लिम पक्ष 'शिवलिंग' को फव्वारा बता रहा है, तो विवाद के उचित निर्णय के लिए सर्वेक्षण किया जाना आवश्यक है।
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