हैदराबाद । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को कहा कि भारत की रक्षा प्रबंधन क्षमता में वृद्धि से कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी मजबूत ह...
हैदराबाद । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को कहा कि भारत की रक्षा प्रबंधन क्षमता में वृद्धि से कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी मजबूत होगी तथा रक्षा निर्यात में बढ़ोतरी होगी। सुश्री मुर्मु ने सिकंदराबाद में कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम) में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इससे भारत को वैश्विक सुरक्षा मंचों पर सक्रिय रुख बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय रक्षा क्षेत्र में वरिष्ठ रणनीतिक नेतृत्व वैश्विक सुरक्षा खतरों का सक्रियता से जवाब देते हुए भारत को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आपके सामूहिक प्रयास और व्यक्तिगत उत्कृष्टता 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार करने में मदद करेगी। हमारे सशस्त्र बलों के कर्मियों को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ-साथ बदलती परिचालन गतिशीलता के साथ खुद को अपडेट रखने की आवश्यकता है। ग्रे जोन और हाइब्रिड युद्ध के इस युग में सीडीएम जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उन्होंने कहा, “युद्ध के मैदानों से परे भी युद्ध लड़े जाते हैं। आज हम मनोवैज्ञानिक युद्ध देख रहे हैं।” अधिकारियों से समय के साथ निरंतर विकसित होने और तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा , “इस त्रि-सेवा प्रशिक्षण संस्थान को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह अवसर भविष्य के लिए हमारे सशस्त्र बलों के रणनीतिक नेताओं को विकसित करने में रक्षा प्रबंधन कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। मैं पिछले पांच दशकों में इस संस्थान की यात्रा में शामिल सभी लोगों को बधाई देती हूं।” राष्ट्रपति ने कहा कि यह जानकर खुशी हो रही है कि भारतीय अधिकारियों के अलावा, मित्र विदेशी देशों के सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारियों को भी वर्षों से यहां प्रशिक्षित किया गया है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को और मजबूत करने में मदद मिलती है। यह संस्थान सशस्त्र बलों के अधिकारियों को प्रभावी निर्णय लेने के लिए ज्ञान और कौशल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि सीडीएम भारतीय सशस्त्र बलों के सामने आने वाली वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान प्रदान करने की दृष्टि से कार्य करता है। प्रौद्योगिकी में प्रगति का राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। युद्ध की पारंपरिक परिभाषाओं और तरीकों को उभरती प्रौद्योगिकियों और नयी रणनीतिक साझेदारियों के जरिए चुनौती दी जा रही है। भारत उभरती प्रौद्योगिकी एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उच्च प्राथमिकता दे रहा है तथा बढ़ी हुई दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए भारतीय रक्षा प्रणालियों में उनका उपयोग कर रहा है। सुश्री मुर्मु ने कहा, “भारत सरकार ने रक्षा उद्योग की स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई उपाय किये हैं। सरकार भारतीय और विदेशी निवेशकों को हमारे रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। स्वदेशीकरण पर जोर देते हुए घरेलू विनिर्माण के लिए कई रक्षा उत्पादों की पहचान की गयी है और उनका आयात नहीं किया जायेगा।” उन्होंने कहा कि भारत के भीतर तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का निर्माण करके आत्मनिर्भरता के एक नए चरण की शुरुआत करने का समय आ गया है। रक्षा आधुनिकीकरण के क्षेत्र में, भारत एक समग्र दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसमें अपने पारंपरिक बलों को उन्नत करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, साइबर युद्ध क्षमताओं और अंतरिक्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों सहित अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना शामिल है।
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