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एचएमपीवी से घबराए नहीं, एम्स में है जांच की सुविधा…

  रायपुर। प्रदेश में ह्ममन मेटानिमोवायरस (एचएमपीवी) का एक भी केस सामने नहीं आया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। अखिल भा...

 

रायपुर। प्रदेश में ह्ममन मेटानिमोवायरस (एचएमपीवी) का एक भी केस सामने नहीं आया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में जांच सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश के अस्पतालों को आउटपेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में आने वाले और आईपीडी (इन-पेशेंट डिपार्टमेंट) में भर्ती इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई ) और एसएआरआई (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) के मरीजों की जानकारी आएचआईपी पोर्टल में दर्ज करनी होगी। इसके साथ ही मरीजों के स्वैब को जांच के लिए एम्स भेजना होगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में सभी मेडिकल कॉलेज के डीन, अस्पतालों के अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) और जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रदेश में एचएमपीवी को लेकर आवश्यक सुझाव और दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय तकनीकी समिति का गठन किया गया है। यह समिति संक्रमण के रोकथाम, बचाव, जागरूकता और आगामी कार्ययोजना के संबंध में सुझाव देगी। महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. एसके पामभोई को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसमें उपसंचालक डॉ. खेमराज सोनवानी, उपसंचालक डॉ. धर्मेन्द्र गहवई, आईएसडीपी की राज्य सलाहकार आकांक्षा राणा और चयनिका नाग सदस्य हैं। राज्य में एचएमपीवी के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को समिति समय-समय पर अपना अभिमत देगी।बताते चलें कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने एचएमपीवी को लेकर मंगलवार को मंत्रालय में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर दिशा-निर्देश दिए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन सावधानी बरतनी जरूरी है। एचएमपीवी संक्रमण होने और लक्षण उत्पन्न होने के बीच के समय सामान्यत: तीन से छह दिन का होता है। बीमारी के सामान्य लक्षण इसमें खांसी, नाक बहना, गले में खराश या जलन, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। मौसमी इन्फ्लूएंजा के लक्षणों में बुखार, खांसी, शरीर और मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, थकान और सामान्य बेचैनी महसूस होना शामिल हैं।निर्देश के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु और 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को ज्यादा खतरा है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोग, अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों को अधिक खतरा होता है।

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