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पुनर्वास केंद्र में तैयार हो रहे हाथी प्रबंधन के सिपाही, 500 को मिली ट्रेनिंग

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में हाथियों से जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए सूरजपुर जिले के रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में तत्काल प्रतिक्...

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में हाथियों से जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए सूरजपुर जिले के रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में तत्काल प्रतिक्रिया दल, हाथी मित्र दल और ट्रैकर तैयार किए जा रहे हैं। इनमें राज्य के अलग-अलग जिलों के वन कर्मचारियों के साथ ही प्रभावित क्षेत्र के जागरूक लोग भी शामिल हो रहे हैं। सात दिन के सत्र में व्यवहारिक और सैद्धांतिक दोनों ही तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। इनमें शारीरिक फिटनेस के साथ हाथियों के पदचिह्न, लीद और आकार से उनके व्यवहार का अध्ययन भी शामिल है। अभी तक किसी विशेष परिस्थिति में ट्रैकर दूसरे राज्यों से बुलाने पड़ते थे। मगर, अब स्थानीय स्तर पर दक्ष लोग यह काम कर पा रहे हैं। अभी तक 500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों के साथ कार्य कर चुके अंबिकापुर के प्रभात दुबे द्वारा वरिष्ठ वन अधिकारियों की देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाता है। हाथी पुनर्वास केंद्र में कर्नाटक से लाए गए पांच प्रशिक्षित कुमकी हाथियों के साथ कुल आठ हाथी हैं। यह केंद्र गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है, जहां वर्षभर 70 से 80 हाथियों की मौजूदगी रहती है। इस कारण यहां व्यवहारिक प्रशिक्षण देना ज्यादा असरकारी है। छत्तीसगढ़ में हाथियों के प्रबंधन को लेकर समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप गतिविधियां संचालित होती रही हैं। हाथियों की कॉलरिंग के दौरान तमिलनाडु से ट्रैकरों को बुलाया जाता था। ये ट्रैकर जंगल के भीतर जाकर हाथियों की लोकेशन और उनके व्यवहार का अध्ययन कर विशेषज्ञ टीम को जानकारी देते थे। फिर ट्रेंक्यूलाइज कर कॉलर आईडी लगाया जाता था। अभयारण्य क्षेत्र में कब किधर हाथी हैं, इसका अनुमान नहीं रहता। उस परिस्थिति में कुमकी हाथियों के साथ जंगल में जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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