रायपुर। तेलंगाना को बेची गई 3600 करोड़ रुपए के बिजली बिल में 2,321.33 करोड़ की राशि पर विवाद चल रहा है। इसके पहले मार्च 2023 में तेलंगा...
रायपुर।
तेलंगाना को बेची गई 3600 करोड़ रुपए के बिजली बिल में 2,321.33 करोड़ की
राशि पर विवाद चल रहा है। इसके पहले मार्च 2023 में तेलंगाना ने कुल बकाया
राशि में 2100 करोड़ राशि का भुगतान करने की सहमति दी थी। मगर, अब तेलंगाना
की पावर कंपनियां यह तर्क दे रही हैं कि छत्तीसगढ़ की पावर कंपनियों ने
गलत तरीके से बिल जनरेट किया है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन
कंपनी (सीएसपीडीसीएल) वित्तीय तनाव में गुजर रही है। बता दें कि तेलंगाना
राज्य की दो पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को संयुक्त रूप से हर महीने
बिजली बिल राज्य सरकार की ओर से भेजा जाता है। इसका भुगतान अवधि बिल जारी
होने से एक माह में होता है।
अब राज्य सरकार ने शेष राशि प्राप्त
करने के लिए छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने ऑर्बीट्रेटर नियुक्त
किया है। साथ ही तेलंगाना की दोनों कंपनियों को भी आर्बीट्रेटर नियुक्त
करने के लिए कहा गया है।
जून 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश
बघेल ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को पत्र लिखा था। उन्होंने अवगत
कराया था कि सीएसपीडीसीएल का करोड़ों विद्युत देयक तेलंगाना राज्य की पावर
कंपनी पर बकाया है, जिसके कारण सीएसपीडीसीएल वित्तीय तनाव से गुजर रही है।
छत्तीसगढ़
में स्टेट सेक्टर के तहत स्थापित 1000 मेगावाट क्षमता की अटल बिहारी ताप
विद्युत परियोजना (मड़वा) से विद्युत आपूर्ति के लिए सीएसपीडीसीएल एवं
तेलंगाना राज्य की पावर कंपनियों के मध्य 22 सितंबर 2015 को दीर्घकालीन
पीपीए निष्पादित किया गया था। इसके तहत तेलंगाना राज्य को निरंतर विद्युत
आपूर्ति की जा रही है।
छत्तीसगढ़ पहले से ही 30,000 मेगावाट बिजली
का उत्पादन कर रहा है, जो देश के औसत से ज्यादा है। अब हर व्यक्ति को 2,048
किलोवाट-घंटे बिजली मिल रही है, जिससे राज्य की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो रही
हैं। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एनटीपीसी ने 80,000 करोड़ रुपये की लागत
से 4200 मेगावाट क्षमता का न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना बनाई
है।
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