जगदलपुर। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सलियों ने संगठन स्तर पर कई बड़े फेरबदल किए हैं। बस्तर में सक्रिय देश की इकलौती नक्सल बटालिय...
जगदलपुर।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सलियों ने संगठन स्तर पर कई बड़े
फेरबदल किए हैं। बस्तर में सक्रिय देश की इकलौती नक्सल बटालियन को भी
नक्सलियों ने कई टुकड़ों में तोड़ दिया है। अब नक्सली छोटे-छोटे समूहों में
गुरिल्ला वार की रणनीति बना रहे हैं, जबकि पहले गर्मियों में नक्सली बड़े
हमले करते थे। बस्तर में मार्च, अप्रैल, मई और जून के समय को नक्सली
टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) कहते हैं। यह वही समय है, जब
जंगल के भीतर दृश्यता बढ़ जाने का लाभ उठाकर नक्सली बड़े हमले करते रहे
हैं। टीसीओसी के दौरान हुए हमले में तीन अप्रैल, 2010 को ताड़मेटला हमले
में 76 जवान, 25 अप्रैल, 2017 को सुकमा के बुरकापाल में 32 जवान और तीन
अप्रैल 2021 को टेकुलगुड़ेम मुठभेड़ में 22 जवान बलिदान हो गए थे, जबकि इस
बार स्थिति बदली हुई है। नक्सलियों के पुनर्वास की सरकार की नई नीति के
चलते भी कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। ऐसे लोगों को फिर से
मुख्यधारा में जोड़ा जा रहा है। राज्य में शांति स्थापित होने से विकास
कार्यों में तेजी आएगी। सुरक्षा बल ने पिछले 14 माह में नक्सलियों के
विरुद्ध आक्रामक अभियान करते हुए 304 नक्सलियों को ढेर कर दिया है, जबकि 34
अग्रिम सुरक्षा चौकियां स्थापित की गई हैं। इसके बाद नक्सली भी यह मानकर
चल रहे हैं कि टीसीओसी का लाभ फोर्स भी उठा सकती है और संगठन को बड़ा
नुकसान पहुंचा सकती है। पिछली गर्मियों में इसी रणनीति से सुरक्षा बल ने
नक्सलियों के विरुद्ध कई बड़े अभियान किए थे। यही कारण है कि जंगल के भीतर
से जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार नक्सलियों ने इस बार अपने संगठन में
भारी बदलाव किया है। कंपनी और प्लाटून स्तर पर भी फेरबदल किया गया है।
पिछले एक वर्ष के भीतर सुरक्षा बल ने बस्तर में नक्सलियों के सबसे ताकतवर
किले को ढहा दिया है। सुकमा और बीजापुर जिले का सीमावर्ती क्षेत्र दो दशक
से नक्सलियों के बटालियन का केंद्र था। पिछले दो वर्ष में सुरक्षा बल ने
यहां टेकुलगुड़ेम, पूवर्ती, तर्रेम, गुंडेम, कोंडापल्ली, जिड़पल्ली,
वाटेवागु सहित दस से अधिक अग्रिम चौकियों की स्थापना कर खुद को मजबूत बना
लिया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक विज नक्सल मामलों के जानकार छत्तीसगढ़ के
पूर्व पुलिस महानिदेशक आरके विज ने कहा कि इस समय सुरक्षा बल की स्थिति
जंगल के भीतर मजबूत हुई है। सटीक सूचना के आधार पर अभियानों में नक्सलियों
को बड़ा नुकसान पहुंचा है। यही कारण है कि नक्सली गुरिल्ला लड़ाई तकनीक के
अनुसार छोटे-छोटे समूह में बंटकर बड़े नुकसान पहुंचाने की ताक में होंगे।
गुरिल्ला युद्ध में छोटा बल भी बड़ा नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है।
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