पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खेलो इंडिया यूथ गेम्स के आधिकारिक ‘लोगो’ तथा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले और ...
पटना
। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खेलो
इंडिया यूथ गेम्स के आधिकारिक ‘लोगो’ तथा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा
युवा मामले और खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने ‘शुभंकर’ का अनावरण किया। श्री
कुमार ने सोमवार को यहां मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में
आयोजित कार्यक्रम में खेलो इंडिया यूथ गेम्स, बिहार 2025 के आधिकारिक
‘लोगो’ तथा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले और खेल मंत्री मनसुख
मांडविया ने ‘शुभंकर’ का रिमोट के माध्यम से अनावरण किया। इस दौरान
मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री ने खेल सॉन्ग का भी शुभारंभ किया। साथ ही
खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मशाल गौरव यात्रा रथ को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना
किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि खेलो इंडिया
यूथ गेम्स, 2025 का बिहार में आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
04 मई को खेलो इंडिया यूथ गेम्स, 2025 का पटना में उद्घाटन करेंगे।
उन्होंने कहा, “हम सभी खिलाड़ियों का बिहार की धरती पर स्वागत करते हैं।”
श्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह आयोजन बिहार में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने
और युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से राज्य में खेलों की बुनियादी
संरचना को और मजबूत करने तथा युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा
दिखाने का अवसर मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार में पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स, बिहार 2025 का
आयोजन हो रहा है। 04 मई से 15 मई तक बिहार के पांच जिलों पटना, नालंदा
(राजगीर), गया, भागलपुर और बेगूसराय में खेल महाकुंभ का आयोजन होगा। इसमें
28 खेलों के लिए देशभर से 8500 खिलाड़ी और 1500 तकनीकी कर्मी यानी कुल 10
हजार लोग भाग लेंगे। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मशाल गौरव यात्रा 15 अप्रैल
से 02 मई के बीच बिहार के 38 जिलों से होकर गुजरेगी।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स का ‘लोगो’ बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और खेल
भावना का प्रतीक है। इसका नारंगी और हरा रंग उत्साह और प्रकृति का मेल
दर्शाता है। इसका शुभंकर ‘गजसिंह’ का स्वरूप एवं अवधारणा राज्य की
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं खेल भावना का प्रतीक है। यह शुभंकर बिहार की
समृद्ध पुरातात्विक विरासत से प्रेरित है, जो पाल काल के दौरान नालंदा एवं
बोधगया स्थित मंदिरों और स्तंभों पर अंकित गजसिंह (हाथी-सिंह के संयोग) की
मूर्तियों से लिया गया है।
गजसिंह मात्र एक प्रतीक नहीं बल्कि सशक्त, साहसी एवं बुद्धिमान खिलाड़ी की
भावना का जीवंत रूप है। यह शुभंकर राज्य की खेल संस्कृति को सुदृढ़ करने एवं
देश के युवा खिलाड़ियों को संगठित, अनुशासित एवं उन्नत खेल भावना के लिए
प्रेरित करेगा। बिहार, भारत के खेल क्षेत्र में एक नया स्वर्णिम अध्याय
लिखने के लिए तत्पर है।
डिजाइन में महाबोधि मंदिर और नालंदा विश्वविद्यालय का प्रतीक ऐतिहासिक और
बौद्धिक विरासत के सम्मान को दर्शाता है। पीपल वृक्ष, गौरैया और गंगेटिक
डॉल्फिन प्रकृति और उनके संरक्षण का संदेश देते हैं। मधुबनी पेंटिंग और छठ
पूजा जीवंत सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जैव
विविधता की मिसाल है। अशोक चक्र और सिंह न्याय, शक्ति और ऐतिहासिक गौरव के
प्रतीक हैं। बिहार के नक्शे में सजी यह डिजाइन राज्य की विविध पहचान,
सांस्कृतिक धरोहर और खेल संस्कृति के विकास का शक्तिशाली प्रतीक बन चुकी
है। ‘खेल के रंग, बिहार के संग’ केवल नारा नहीं बल्कि बिहार के खेल
पुनर्जागरण का संदेश है, जो राज्य को वैश्विक खेल मानचित्र पर लाने का
संकल्प दर्शाता है।
कार्यक्रम में दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, पुलिस महानिदेशक विनय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, सामान्य प्रशासन तथा खेल विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. बी. राजेन्दर, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण, खेल निदेशक महेन्द्र कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
No comments